पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को साल 1996 एनडीपीएस (NDPS) मामले में पालनपुर के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 20 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इससे पहले बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एनडीपीएस मामले में दोषी करार दिया गया था। सत्र अदालत ने पूर्व अधिकारी को एक वकील को झूठे आरोप में फंसाने के मामले में दोषी पाया है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को साल 1996 एनडीपीएस (NDPS) मामले में पालनपुर के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट (Sanjeev Bhatt) को 20 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
11 अलग-अलग धाराओं के तहत हुई सजा
पूर्व अधिकारी को अलग-अलग 11 धाराओं के तहत 20 साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वहीं, जुर्माना न देने पर एक वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास का प्रावधान किया गया है। मालूम हो कि कोर्ट ने इससे पहले बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एनडीपीएस मामले में दोषी करार दिया था।
इस मामले में हुई है सजा
मालूम हो कि यह ड्रग्स को जब्त करने का मामला है। सत्र अदालत ने पूर्व अधिकारी को राजस्थान के रहने वाले एक वकील को झूठे आरोप में फंसाने के मामले में दोषी पाया है। संजीव भट्ट गुजरात दंगा मामलों में गलत बयानी के लिए काफी विवादास्पद रहे थे। 1996 में पुलिस ने पालनपुर के एक होटल के कमरे से ड्रग्स की बरामदगी की थी।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, आरोपित वकील भी उसी कमरे में रह रहा था। उस समय भट्ट बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे। उनके अधीन जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को इस मामले में एनडीपीएस एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था। उस समय भट्ट ने यह दावा किया था कि पालनपुर के जिस होटल के कमरे से ड्रग्स को जब्त किया गया, वकील उसी में रह रहा था।
बाद में राजस्थान पुलिस ने कहा कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली में स्थित एक विवादित संपत्ति को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया था। इसी मकसद के लिए पुरोहित को झूठा फंसाया था। पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर आइबी व्यास ने मामले की गहन जांच की मांग करते हुए 1999 में गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था।
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