पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत ने हिंदू मंदिर पर हमले के लिए 22 लोगों को दोषी ठहराते हुए पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। अदालत ने बाकी 62 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इस मामले में 84 संदिग्धों के खिलाफ पिछले वर्ष सितंबर में सुनवाई शुरू हुई थी।
आरोपियों के खिलाफ सितंबर में शुरू हुई सुनवाई
गौरतलब है कि जुलाई 2021 में लाहौर से लगभग 590 किलोमीटर दूर रहीम यार खान जिले के भोंग शहर में गणेश मंदिर पर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया था। हथियारों और लाठियों से लैस भीड़ ने मंदिर में तोड़फोड़ के अलावा आगजनी भी की थी। इस दौरान हमलावरों ने मूर्तियों, दीवारों और दरवाजों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था। बुधवार को न्यायाधीश नासिर हुसैन ने अपना फैसला सुनाया। फैसला सुनाए जाने से पहले सभी आरोपितों को न्यू सेंट्रल जेल बहावलपुर से कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया।
कोर्ट ने दिए थे संदिग्धों से वसूली के आदेश
अधिकारिक बयानों के मुताबिक अभियोजन पक्ष द्वारा फुटेज के रूप में प्रासंगिक सबूत पेश करने और आरोपियों के खिलाफ गवाही के बाद अदालत ने 22 आरोपियों को सजा सुनाई। शीर्ष अदालत के आदेश पर सरकार ने संदिग्धों से जुर्माना भी वसूल किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद ने खेद व्यक्त करते हुए कहा था कि गणेश मंदिर में बर्बरता ने देश को शर्मसार कर दिया। उनका कहना था कि इस मामले में पुलिस ने मूक दर्शकों की तरह काम किया। पाकिस्तान की संसद ने भी प्रस्ताव पारित कर मंदिर हमले की निंदा की थी।