पराली जलाने पर रोक लगाने का आदेश देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार, जानें क्या है वजह?

पराली जलाने पर रोक लगाने का आदेश देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने किया इनकार, जानें क्या है वजह?

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पंजाब, हरियाणा सहित सभी पड़ोसी राज्यों को पराली जलाने पर रोक के लिए समुचित आदेश दिया है और अब केंद्र और राज्य सरकारों को अपना काम करना है। हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए समुचित कदम उठाने का आदेश देने की मांग पर विचार करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है। याचिका में कहा गया था कि पराली जलाने से कोरोना महामारी को फैलने में मदद मिलेगी।

चीफ जस्टिस धीरूभाई नारायण भाई पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को अपने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है ताकि इन राज्यों द्वारा पराली को जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी की जा सके। बेंच ने कहा कि यदि वह भी इसी मुद्दे को सुनता है तो विरोधाभासी आदेश पारित होने का खतरा बना रहेगा। इसके साथ ही बेंच ने वकील सुधीर मिश्रा की ओर से दाखिल अर्जी का निपटारा कर दिया।

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अर्जी में मिश्रा ने कहा था कि पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने से राजधानी में प्रदूषण के साथ-साथ कोरोना मरीजों की परेशानी बढ़ेगी और महामारी तेजी से फैलेगी। उन्होंने यह अर्जी हाईकोर्ट में 2015 से पराली जलाने पर रोक से संबंधित पहले से ही लंबित जनहित याचिका के जवाब में दी है। हालांकि बेंच ने मिश्रा को इस बात की छूट दी है यदि कभी लगता है कि मामले में तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है तो वह दोबारा से अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

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मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने बेंच को बताया कि हवा की खराब गुणवत्ता के कारण दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को सूरज दिखाई नहीं पड़ रहा है और हालात आपात स्थिति जैसे हो गए हैं। शर्मा ने बेंच के समक्ष एक अखबार में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए कहा कि वायू प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को सांस लेने की परेशानी हो रही है और उनको दोबारा से अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। उन्होंने बेंच से कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोरोना के चलते लोगों के फेंफड़े खराब हो चुके हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पराली जलाने से रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए समुचित कदम उठाएं।

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