पंजाब में लैंड पूलिंग पॉलिसी का भंवर: सरकार गिना रही फायदे

सरकार के अनुसार लैंड पूलिंग पॉलिसी से किसानों को मार्केट रेट से अधिक लाभ मिलेगा। अभी तक उनके साथ ठगी होती रही है। किसानों को इससे करोड़ों रुपये का मुनाफा होगा और प्लॉट की कीमत बाजार दर से चार गुना ज्यादा होगी।

पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी इन दिनों काफी विवादों में है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल व भाजपा लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। किसान बर्बाद हो जाएंगे। वहीं, सरकार इसे ऐतिहासिक फैसला बता रही है।

किसान संगठन भी इस मुद्दे पर बंटे हुए दिख रहे हैं। कुछ संगठनों का कहना है कि इससे उन्हें जमीन की पूरी कीमत मिल सकेगी, जबकि दूसरी तरफ कुछ संगठनों का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकार ने जमीन देने या न देने का निर्णय किसानों पर छोड़ा है, इसलिए चिंता की बात नहीं है।

जगराओं के मलकीत सिंह और हांबड़ा के सुचेत सिंह आज कल काफी दुविधा में हैं। पंजाब सरकार ने न्यू अर्बन एस्टेट के लिए लुधियाना में 24,311 एकड़ का जो इलाका चिह्नित किया है, उसमें उनकी जमीन भी आ रही है। इसके लिए सरकार लैंड पूलिंग पॉलिसी लेकर आई है। यानी किसान अपनी मर्जी से अपनी जमीन को डेवलप करने के लिए सरकार को दे सकते हैं, लेकिन किसान तय नहीं कर पा रहे कि वे क्या करें। सरकार का दावा है कि यह पॉलिसी गैर कानूनी कॉलोनियों और भू-माफिया पर अंकुश लगाने के लिए लाई गई है। इसके तहत किसानों को जमीन पर एक हजार वर्ग गज का रिहायशी प्लॉट और 200 वर्ग गज का कॉमर्शियल प्लॉट दिया जाएगा, लेकिन किसानों की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर वे अभी जमीन नहीं देने का फैसला करते हैं, तो आने वाले समय में न्यू अर्बन एस्टेट डेवलप होने पर उन्हें मजबूरन जमीन देनी ही पड़ेगी। ऐसे में उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।

जबरन अधिग्रहण का आरोप
जैसे ही सरकार ने इस प्रोजेक्ट की घोषणा की, कांग्रेस, भाजपा और शिअद ने इस पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया। विपक्षियों ने सरकार पर यहां तक आरोप लगाए कि किसानों की जमीन का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है।

दूसरी तरफ वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा का कहना है कि पुरानी सरकारों का भू-माफिया से गठजोड़ रहा है। वह नहीं चाहते कि पंजाब में लोगों को उचित दाम पर घर मिल सकें। पुरानी सरकारों ने कुछ चुनिंदा बिल्डरों और डेवलपर्स को काम सौंपकर भू-माफिया को पनाह दी। इस पॉलिसी में एक एकड़ पर किसान को करीब 4.20 करोड़ रुपये का लाभ होगा। अगर एक एकड़ जमीन की कीमत मार्केट के अनुसार 1.25 करोड़ रुपये है, तो पुरानी नीति के अंतर्गत किसानों को इतने ही रुपये मिलेंगे, जबकि नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत जमीन मालिक को एक एकड़ जमीन देने के बदले 1000 वर्ग गज का विकसित रिहायशी प्लॉट और 200 वर्ग गज का कमर्शियल प्लॉट मिलेगा।

रिहायशी क्षेत्रों के लिए 30,000 रुपये प्रति वर्ग गज और व्यापारिक क्षेत्र के लिए 60,000 रुपये प्रति वर्ग गज की कीमत मान कर जमीन मालिक को मिलने वाली कुल कीमत लगभग 4.2 करोड़ रुपये होगी।

विरोध में उठ रही आवाजें
वहीं, इसके विरोध में भी आवाजें उठ रहीं हैं। मोहाली में नौ नए विकसित किए जा रहे सेक्टरों के लिए नई लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत 6,285 एकड़ भूमि अधिग्रहण का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। सेक्टरों को विकसित करने के लिए अधिगृहीत की जाने वाली गांव कुरड़ी, स्याऊ, पत्तों, बड़ी और मटरां के किसानों ने नई लैंड पूलिंग नीति को अस्वीकार कर दिया है।

किसानों ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीनें नए सेक्टरों को नहीं देंगे। किसान प्रितपाल सिंह कुरड़ी, अरविंदर सिंह गिल, छज्जा सिंह, बहादुर सिंह बड़ी, सरपंच कुरड़ी नाहर सिंह, हरविंदर सिंह ढोल, जगरूप सिंह ढोल और आम आदमी घर बचाओ मोर्चा के नेता एडवोकेट दर्शन सिंह धालीवाल और हरमिंदर सिंह मावी ने बताया कि नई नीति किसान विरोधी है।

विरोध में तर्क….

  1. नई नीति के तहत तीन कनाल तक भूमि वाले किसानों को कोई भी व्यावसायिक स्थान न देना, एक एकड़ वाले किसानों को एक हजार गज के रिहायशी प्लाॅट देने की पुरानी व्यवस्था तोड़कर पांच-पांच सौ गज के प्लाट देना व औद्योगिक व संस्थागत क्षेत्रों में किसानों को व्यावसायिक स्थान न देना उनके साथ अन्याय है।
  2. नई लैंड पूलिंग नीति बनाते समय किसी भी किसान से सलाह नहीं ली गई। अब यह नीति उन पर थोपी जा रही है।
  3. नई नीति केवल कॉरपोरेट और बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है। किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया है।

समर्थन में तर्क…

  1. आप किसान विंग के अध्यक्ष और विधायक जगतार सिंह कहते हैं कि इस नीति से भू-माफिया का खेल खत्म हो जाएगा, क्योंकि नीति का उद्देश्य वित्तीय लाभ सुनिश्चित करके किसानों के जीवन में बदलाव लाना है।
  2. कृषि भूमि के लिए वर्तमान कलेक्टर दर 30 लाख प्रति एकड़ है। वहीं बाजार मूल्य 1 करोड़ से लेकर 1.25 करोड़ प्रति एकड़ है। एरिया को विकसित करने के बाद किसानों को प्रदान किए गए आवासीय भूखंडों का मूल्य लगभग 3 करोड़ (30,000 प्रति वर्ग गज) और वाणिज्यिक भूखंडों का मूल्य 1.2 करोड़ (200 वर्ग गज के लिए 60,000 प्रति वर्ग गज) हो जाएगा।
  3. प्रति एकड़ कुल मूल्य 4.2 करोड़ होगा, जो वर्तमान बाजार दर से तीन से चार गुना है, जिससे किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।

किसानों की चिंता…

  1. तीन साल के बाद मिलेगी जगह
    नीति के अधीन आ रहे 32 गांवों के नुमाइंदों का कहना है कि सरकार ने जो नई लैंड पूलिंग पॉलिसी बनाई है, उस पर किसानों से सहमति नहीं ली गई। नई पॉलिसी में किसानों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया। किसान बलविंदर सिंह ने कहा कि नई लैंड पूलिंग पॉलिसी में सरकार ने जमीन अधिग्रहण के बदले तीन साल के बाद किसान को जगह डेवलप करके देने की बात कही है।
  2. पुडा व गलाडा के कई प्रोजेक्ट बेकार हो गए
    पंजाब पुडा और गलाडा की ओर से विभिन्न शहरों के बाहरी इलाकों में कॉलोनियों और अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए हजारों एकड़ जमीन बेकार पड़ी है। उपजाऊ जमीन में कांग्रेस घास उग आई है। पंजाब में 50 हजार से अधिक बनी कॉलोनियों में आधे प्लॉट खाली पड़े हैं और उनमें बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
  3. गांव वालों और भूमि मालिकों से संवाद नहीं
    सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार जो 14 हजार अवैध कॉलोनियां हैं, सरकार यह जानकारी दे कि उन्हें किस आधार पर छोड़ रही है। सरकार को यह नीति लाने से पहले गांव वालों और भूमि मालिकों से संवाद करना चाहिए था।

एनओसी के बाद ही ली जाएगी किसानों की जमीन: सिसोदिया
आप के पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने कहा है कि पंजाब सरकार की नई लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों की मंजूरी के बाद ही उनकी जमीन ली जाएगी। किसानों पर कोई दबाव नहीं होगा। सरकार किसानों की जमीन को विकसित कॉलोनियों में बदलेगी और सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं के साथ उसी जमीन के प्लॉट उन्हें वापस लौटाएगी। किसानों को इससे करोड़ों रुपये का मुनाफा होगा और प्लॉट की कीमत बाजार दर से 4 गुना ज्यादा होगी। लैंड माफिया के साथ मिलीभगत रखने वाली पिछली सरकारों ने कभी ऐसी नीति नहीं बनाई, क्योंकि उनका उद्देश्य किसानों को लूटना था।

विपक्ष हुआ हमलावर…

पॉलिसी का उद्देश्य केवल पैसा इकट्ठा करना: वड़िंग
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने आम आदमी पार्टी सरकार की लैंड पूलिंग नीति के खिलाफ अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि इससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी। उन्होंने पार्टी नेताओं को कांग्रेस में फिर से शामिल करने का भी बचाव किया और कहा कि इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है और पार्टी में सभी का स्वागत है। पॉलिसी का उद्देश्य केवल पैसा इकट्ठा करना है। उन्होंने दावा किया कि 24,000 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को हिला देगा और अंततः यह समाज के हर वर्ग को प्रभावित करेगा।

अधिग्रहण की अधिसूचना तत्काल वापस ले सरकार: सुखबीर
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि पंजाब सरकार शहर से सटी 24 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना तत्काल वापस ले या पीड़ित किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए मोर्चा का सामना करने के लिए तैयार रहे। 2027 में पार्टी की सरकार बनने के बाद वह सुनिश्चित करेगी कि सभी सरकारी नौकरियां केवल पंजाबियों के लिए ही आरक्षित हों। उन्होंने कहा कि अभी आप सरकार सभी सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है। अकाली दल की सरकार सत्ता में आने पर बाहरी लोगों को राज्य की जमीन खरीदने की अनुमति नहीं देगी।

क्या कहते हैं किसान नेता व विशेषज्ञ

एरोसिटी में अब तक प्लॉट नहीं मिले: लक्खोवाल
भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के नेता हरिंदर सिंह लक्खोवाल का कहना है कि एरोसिटी डेवलप करने के समय भी ऐसे ही वादे किए गए थे, लेकिन वहां अब तक किसानों को प्लॉट नहीं मिले हैं। किसानों की खेती बर्बाद हो गई। इसमें यह शर्त रखी जानी चाहिए कि अगर पांच साल तक कॉलोनी डेवलप नहीं हुई, तो किसानों को जमीन वापस कर दी जाएगी। किसानों को जमीन या पैसों का विकल्प दिया जाना चाहिए।

पॉलिसी पर बेवजह का शोर: डॉ. अमरीक सिंह
कृषि विशेषज्ञ डॉ. अमरीक सिंह का कहना है कि पॉलिसी पर बेवजह का शोर हो रहा है। इस पॉलिसी में किसानों से जबरदस्ती जमीन नहीं ली जा रही है। पहले प्राइवेट लोग जमीन खरीदते थे, तो किसानों को बहुत कम रेट मिलता था। अब सरकार खरीद रही है, तो लैंड माफिया को परेशानी हो रही है। बहुत से किसान राजी हैं। उन्हें पहले से ज्यादा रेट मिल रहा है। विरोध वाली कोई बात नहीं है। इसमें किसानों का फायदा है।

किसानों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ: डॉ. विनोद चौधरी
कृषि विशेषज्ञ डॉ. विनोद चौधरी कहते हैं कि गुरुग्राम और जेवर का उदाहरण हमारे सामने हैं। किसी भी प्रोजेक्ट में किसानों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ। किसानों का पूरा इको सिस्टम खराब हो जाता है। इनका पूरा सामाजिक ताना-बाना टूट जाता है। जमीन के बदले जमीन मिलनी चाहिए। उन्हें शिक्षा, नौकरी समेत सभी अवसर समान रूप से मिलने चाहिए। उनके लिए स्थायी आय का भी प्रबंध किया जाना चाहिए।

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