आज पूरे पंजाब में प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का 554वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। पंजाब के सुल्तानपुर लोधी की मुकद्दस धरती पर मूलमंत्र के उच्चारण के बाद जब जगत गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने सरबत दा भला के लिए उदासियों (यात्राओं) का आगाज किया तो उन्हें कई नामों से पुकारा जाने लगा।
जिस-जिस देश में उदासी के दौरान श्री गुरु नानक देव जी पहुंचे तो उन्हें लोग अलग-अलग नाम से बुलाने लगे। 12 देशों में श्री गुरु नानक देव जी को 14 नामों से पुकारा जाता है। भारत में उन्होंने गुरु नानक देव जी और गुरु नानक साहिब कहा जाता है तो पाकिस्तान की आवाम के लिए वह बाबा नानक व नानक शाह हैं। गुरु जी ने दो उदासियां सुल्तानपुर लोधी और दो उदासियां पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब से कीं।
एक ओंकार में लीन होकर शुरू की थी पैदल यात्रा
श्री गुरु नानक देव जी मूलमंत्र एकओंकार में लीन होकर भाई मरदाना जी की रबाब की धुन को आत्मसात करते हुए पैदल यात्रा के लिए निकल पड़े थे। गुरु साहिब नेपाल पहुंचे तो उन्हें नानक ऋषि नाम मिला, जब वह भूटान व सिक्किम पहुंचे तो लोगों ने उन्हें नानक रिपोचिया पुकारा। श्रीलंका में नानकचार्या, रूस में नानक कमदार, चीन में बाबा फूसा, ईराक में नानक पीर, मिस्त्र में नानक वली और सऊबी अरब में वे वली हिंद कहलाए। तिब्बत में उन्हें नानकलामा से संबोधित किया जाता है।
पंजाब डिजीटल लाइब्रेरी के को-फाउंडर व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर दविंदरपाल सिंह कहते हैं कि श्री गुरु नानक देव जी कुल दुनिया को सरबत दा भला का संदेश देने के लिए उदासियों (यात्राओं) पर निकले। इस दौरान लोगों ने उन्हें अलग-अलग नाम से पुकारा। इन चार उदासियों के दौरान उन्होंने करीब 12 देशों के 248 शहरों में परमात्मा एक है का संदेश दिया।