पंजाब के पटियाला के नाभा में गांव के सरपंच ने केंद्र सरकार से मिले अवॉर्ड को लौटाने का फैसला लिया है। सरपंच को दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित समारोह में बुलाया गया था, लेकिन वहां शामिल होने से उन्हें रोक दिया गया था।
नाभा के गांव कालसना के अमृतधारी सरपंच गुरध्यान सिंह ने केंद्र सरकार की ओर से मिले अवाॅर्ड को वापस करने का फैसला लिया है। दरअसल गुरध्यान सिंह को दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय समागम में श्री साहिब पहनकर शामिल होने से रोक दिया गया था।
सरपंच का कहना है कि जो सरकार सिखों के ककारों का सम्मान नहीं कर सकती, उससे अवाॅर्ड लेकर क्या करना है। शनिवार को गांव कालसना में इजलास बुलाकर अवाॅर्ड वापस करने संबंधी प्रस्ताव पास किया गया। आसपास के आठ गांवों की पंचायतों की ओर से भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए गए। नाभा के गांव कालसना की पंचायत स्वच्छ भारत अभियान के तहत चुनी गई थी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने ग्राम पंचायत को नई दिल्ली के लाल किला में आजादी दिवस के समारोह में शामिल होने और सम्मानित होने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन वहां अमृतधारी सरपंच गुरध्यान सिंह को श्री साहिब उतारकर राष्ट्रीय समागम में शामिल होने के लिए कहा गया।
इस मुद्दे ने तूल पकड़ा और एसजीपीसी के पूर्व प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर ने भी इस घटना की निंदा की थी। उन्होंने मामले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की थी ताकि भविष्य में गुरसिखों के साथ ऐसी हरकत न हो सके। इस मौके पर सरपंच गुरध्यान सिंह ने कहा कि अब तक किसी भी सियासी नेता व श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार, एसजीपीसी के प्रधान ने इस मामले में पहुंच नहीं की है।