एजेंसी/ यह सोच पूरी तरह से गलत है कि हर इंसाान को एक बराबर सोना जरूरी है. अलग-अलग लोगों को अलग-अलग स्तर की नींद की जरूरत होती है. योग का एक आयाम या एक मकसद यह भी होता है कि नींद को कैसे घटाया जाए, क्योंकि नींद का मायने जिंदगी से पलायन भी है. कुछ लोग कहते हैं कि ‘मैं नींद का आनंद लेता हूं.’
कोई भी व्यक्ति नींद का आनंद नहीं ले सकता. आप उस आराम का आनंद लेते हैं, जो नींद आपको देती है. नींद का आनंद लेने का कोई तरीका ही नहीं है, क्योंकि अगर आप वाकई सो रहे हैं तो नींद में आप और यह दुनिया दोनों ही गायब होते हैं. सुबह-सुबह पांच बजे जब आप उठना नहीं चाहते तो आप नींद का मजा लेने का बहाना कर रहे होते हैं. हो सकता है कि इससे आपको खुशी मिले, आराम मिले, मैं इसे समझ सकता हूँ. लेकिन आप जब वाकई सो रहे थे तो दरअसल आप वहां थे ही नहीं.
तो हम नींद का आनंद नहीं ले सकते, हम बस उस नींद से मिले नतीजों का आनंद ले सकते हैं. नींद हमें तनाव से जो मुक्ति देती है, हमें जो आराम देती है, हमारे शरीर को जो फिर से ऊर्जावान बनाती है, हम उसका आनंद लेते हैं. अगर नींद के बाद आपको भरपूर स्फूर्ति मिल जाती है तो संभव है कि नींद की अवधि अपने आप आश्चर्यजनक ढंग से कम हो जाए.