मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक नवजात की जान पर बन आई है। यहां सीजर से पैदा हुए नवजात के शरीर में मल त्याग का रास्ता नहीं था, लेकिन दो दिनों तक डॉक्टरों ने इसे देखा ही नहीं। दो दिनों तक जब बच्चे ने मल त्याग नहीं किया और पेट फूलने लगा, तब उसे आईसीयू में भर्ती कर उसकी जांच की गई। तब डॉक्टरों को यह पता लग पाया कि बच्चे के शरीर में मल त्याग का रास्ता नहीं है। जिसके बाद उसे यहां से जबलपुर के लिए रेफर कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले के बदरा निवासी सुधीर चौधरी ने अपनी 32 वर्षीय पत्नी अंजली को प्रसव के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। तीन दिन पहले सीजर ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया। लापरवाही यह सामने आई कि न तो डॉक्टर और न ही नर्सिंग स्टॉफ ने बच्चे की शारीरिक परीक्षण किया कि सब कुछ ठीक ठाक है या नहीं। बच्चे के परिजन भी निश्चिंत रहे। बच्चे ने मल-मूत्र त्याग नहीं किया तो परिजनों को लगा कुछ दिन बाद करने लगेगा, लेकिन जब नवजात का पेट फूलने लगा और उसकी तबियत बिगड़ने लगी तब उसे आईसीयू में भर्ती किया गया, जहां पता चला कि नवजात के शरीर में मलद्वार विकसित नहीं हुआ है।
इसके बाद आनन-फानन में बच्चे को जबलपुर के लिए रेफर कर दिया गया। नवजात के पिता का कहना था कि यदि उसी दिन समस्या पता चल जाती तो उसकी तबियत बिगड़ने से पहले जबलपुर ले जाते और बच्चे का सही इलाज हो सकता। पिता ने वहां की नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि बच्चा जब पैदा हुआ, तो उसके कुछ घंटे तक जब उसने मल त्याग नहीं किया, जिसके बाद हमने इसकी जानकारी स्टाफ को दी, लेकिन स्टाफ के द्वारा हमारी बात को नजर अंदाज कर दिया गया और हमें भी लगा कि कुछ दिन बाद बच्चा मल त्याग करेगा। नवजात के पिता ने कहा कि यहां का स्टाफ एवं डॉक्टर को अधूरा ज्ञान है, जिसकी वजह से उन्होंने बच्चे की जांच सही ढंग से नहीं की।