नए आलू के स्वाद के लिए अभी यूपी वालों को और इंतजार करना होगा। वैसे तो नए आलू की फसल दिवाली से पहले ही बाजारों में दिखाई देने लगती थी, लेकिन इस बार दिवाली बीत जाने के बाद भी यह फसल गायब है। कुछ जगहों पर नए आलुओं की फसल दिखी लेकिन वह या तो उत्तराखंड से आई थी या फिर दूसरे राज्यों से। नए आलू की फसल की देरी भी लोगों को हैरान करने वाली है। पिछले कई साल में यह पहली बार है कि इस बार दिवाली में आलू की फसल बाजार से गायब है। दरअसल दिवाली से पहले लगभग एक सप्ताह हुई बारिश ने धान, आलू समेत कई फसलों को नुकसान पहुंचाया है। यही कारण है कि नए आलू की फसल को आने में अभी देरी लग रही है।
बात यूपी के कन्नौज की करते हैं। यहां बड़े पैमाने पर आलू की फसल होती है। आगरा के बाद सबसे ज्यादा आलू की पैदावार करने वाले कन्नौज की पूरी अर्थव्यवस्था ही इसी पर टिकी है। आलू की फसल के बाद ही बाजार की रौनक कई गुना बढ़ जाती है। नई फसल अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से पहले-पहले आ जाती है। अमूमन यह मौका दिवाली का होता है। नई फसल को बाजार में बेचकर किसानों को दिवाली त्योहार के मेहनत की रकम मिल जााती है। लेकिन इस बार नई फसल की बुआई के कुछ दिन बाद ही हुई जोरदार बारिश से किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फिर गया।
जिले भर में आलू की नई फसल खराब हो गई। खेत में पानी भर जाने से झटपट दूसरी फसल लगाने का मौका भी नहीं मिला कि समय रहते नई फसल आ जाए। अब हालांकि मौसम के साफ होने के बाद नए सिरे से आलू की बुआई शुरू हो गई है, लेकिन यह फसल अब साल के आखिरी में ही आ पाएगी, तब तक किसानों को अपनी उपज के मुनाफा के लिए इंतजार करना होगा।
पंजाब से आएगी नई फसल
पंजाब में भी आलू की अच्छी पैदावार होती है। वह फसल भी अब तक बाजार में नहीं आई है। हालांकि वहां बारिश न होने की वजह कर अगले कुछ दिनों में नई फसल के बाजार में आने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन उससे कन्नौज या आसपास के किसानों का कोई भला नहीं होगा।
दीवाली पर आई नई फसल देती है अच्छा मुनाफा
कन्नौज में आलू की खेती दो बार में होती है। पहली खेती सितंबर महीने में शुरू हो जाती है। इसे कच्ची फसल कहते हैं, जो 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती है। अक्बूर के तीसरे सप्ताह से ही इसकी खुदाई शुरू हो जती है। इस समय बाजार में पहुंची नई फसल की कीमत पुराने आलू के मुकाबले ज्यादा होती है। इसका सीधा मुनाफा किसानों को होता है। वह न सिर्फ इससे अपनी जरूरतों के पूरी करते हैं, बल्कि दिवाली के मौके पर जी खोल कर खर्च भी करते हैं। लगे हाथ फिर से आलू की पक्की फसल की बुआई की लागत भी निकाल लेते हैं। पिछले महीने हुई बेमौसम बारिश से इस बार यह नहीं हो सका।
कन्नौज में आलू की खेती का आंकड़ा
- 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में होती है फसल
- 10 हजार हेक्टेयर में सितंबर महीने में ही हो जाती है बुआई
- 02 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार होती है कच्ची फसल में
- सितंबर में बोई जाती है नई फसल, अक्टूबर के आखिर में होती है खुदाई
- कच्ची फसल की खुदाई के फौरन बाद पक्की फसल की होती है बुआई
कन्नौज के जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह बताते हैं कि पिछले महीने बेमौसम सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। इससे धान और दूसरी फसलों के साथ ही आलू की फसल को काफी नुकसान पहुंचा। किसान अब पक्की फसल के लिए नए सिरे से बुआई कर रहे हैं।
कन्नौज के डीएचओ सीपी अवस्थी का कहना है कि कन्नौज में कुल 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में आलू की खेती होती है। सितंबर महीने में उसमें से 20 से 25 फीसदी हिस्से में कच्ची फसल की खेती होती है। बारिश से यह खराब हो गई। अब नया आलू आने में समय लगेगा।