राज्यसभा के कार्यकाल से सेवामुक्त होने के बाद पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद शुक्रवार को जम्मू पहुंचे थे। वहीं शनिवार को जम्मू संभाग के सैनिक कालोनी स्थित सैनिक फार्म में शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसमें गुलाम नबी ने कहा कि जम्मू हो या कश्मीर और या फिर लद्दाख हम सभी धर्मों, लोगों और जातियों का एक ही तरह से सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि यही हमारी ताकत है और इसे हमेशा ऐसे ही जारी रखा जाएगा। कार्यक्रम में उत्तर भारत से जुड़े कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के साथ आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल व राज बब्बर यहां पहुंच चुके हैं।
शांति सम्मेलन में कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि लोग कहते हैं जी-23 पर मेरा मानना है कि यह गांधी-23 है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के विश्वास, संकल्प और सोच के साथ ही इस देश का कानून और संविधान बना। इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ खड़ी है।
राज्यसभा से सेवानिवृत्त गुलाम नबी आजाद के साथ पार्टी की ओर से किए गए व्यवहार से भी जी-23 से जुड़े लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि इतने वर्षों तक कांग्रेस में रहने के बाद भी कांग्रेस हाईकमान ने दोबारा उन्हें मौका नहीं दिया। प्रधानमंत्री तक ने उन्हें सम्मान दिया लेकिन अपनी पार्टी ने कोई सम्मान नहीं दिया। राबर्ट वाड्रा का केस लड़ रहे वकील को राज्यसभा का सदस्य बना दिया गया। मल्लिकार्जुन खडगे को राज्यसभा में विपक्ष का नेता जी-23 के वरिष्ठ सदस्यों की अनदेखी करते हुए बना दिया गया।
इससे पहले आजाद शुक्रवार को शहीदी चौक स्थित प्रदेश कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए थे। इस दौरान आजाद ने कहा कि वह 42 साल तक पार्टी में कई अहम पदों पर रहे और 18-18 घंटे तक काम किया। सोनिया गांधी से मुझे फिर से महासचिव न बनाने को कहा था। उन्होंने पूर्व सांसद मदन लाल और मोहम्मद शरीफ नियाज को याद किया।