गुजरात के कच्छ के एक गांव भुजोड़ी में 500 से अधिक सालों से वानकर बुनकरों का घर है। यहां सदियों से ऊनी और सूती दोनों प्रकार के हथकरघा पर बनाए जाते हैं। यह गांव आज भी कच्छ क्षेत्र के कारीगरों और घुमंतू लोगों के बीच प्राचीन सामंज्यपूर्ण संबंध और सह अस्तित्व का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इनके द्वारा बनाए गए भेड़ की ऊन के मोटे कंबल और शाल बुहत गरम होते हैं।

भुजोड़ी गांव के ब्लॉक-प्रिंट कपड़े हैं दुनियाभर में मशहूर
भुजोड़ी गांव नाम से भले ही गांव है, लेकिन अपनी पहचान पूरी दुनिया में बना चुका है। यहां हाल ही में बनाया गया वंदे मातरम मेमोरियल एक ऐसा संग्रहालय है, जिसमें ब्रिटिश राज से लेकर आजादी तक की यात्रा बहुत ही सजीव रूप में दिखाई जाती है। यह पूरी यात्रा आधुनिक 4डी तकनीक के जरिए यहां बने भवन के 17 शानदार कमरों में प्रत्यक्ष रूप से महसूस की जा सकती है। संसद भवन की डिजाइन वाला यह संग्रहालय 12 एकड़ में बना है।
भुजोड़ी में मात्र 7 किमी दूर दक्षिण में एक छोटा सा कस्बा है अजरखपुर। यहां 16वीं शताब्दी से ब्लाक प्रिंट का काम करने वाले मुस्लिम खत्री समाज के लोग रहते हैं। इनके द्वारा प्राकृतिक रंग से तैयार ब्लॉक-प्रिंट कपड़े पूरी दनिया में पसंद किए जाते हैं।
होडका वही गांव है, जहां अमिताभ बच्चन के ‘कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में’ का चर्चित वीडियो शूट किया था। यहां पर कच्छ की संस्कृति से सैलानियों को रूबरू करवाने के लिए मिट्टी के गोल घर बनाए गए हैं। इनका रखरखाव यहां के ग्रामीण लोगों के हाथों में है। यहां रहकर आप मिट्टी के शीशे की मीनाकारी वर्क के डेकोरेशन वाले घर में रह सकते हैं। यहां से आप आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए नफीस कशीदाकारी के कपड़े, चादरें, तोरण आदि भी खरीद सकते हैं।
यहां जाने के लिे भुज नजदीकी हवाई अड्डा है, जो कच्छ से तकरीबन 53 किमी की दूरी पर है। भुज रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा है। आप अहमदाबाद से पहले भुज और फिर कच्छ आ सकते हैं। यहां गर्मी दस्तक दे चुकी है, लेकिन यदि ग्रामीण भारत की खूबसूरती को मन के साथ-साथ कैमरे में भी कैद करना चाहते हैं, तो इस महीने भी यहां जा सकते हैं
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