दिल्ली : सांस्कृतिक विविधता देख चकित हुए देसी-विदेशी पर्यटक

सकल बन फूल रही सरसों, बन बन फूल रही सरसों, अम्बवा फूटे टेसू फूले… गीत की धुन पर कथक प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। देसी ही नहीं विदेशी दर्शक भी नृत्यांगनाओं के साथ थिरकने को मजबूर हो गए। मौका था एआईईएसईसी आईआईटी दिल्ली की ओर से वर्ल्डमार्क दो व तीन एरोसिटी में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल विलेज उत्सव का। शनिवार से शुरू हुए उत्सव में संस्कृति की झलक देख दर्शक भाव विभोर हो गए। 

अगर आप भी अलग-अलग देशों की संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो यह उत्सव आपके लिए खास है। यहां आकर मन बिल्कुल तरो-ताजा हो जाएगा। उत्सव में सांस्कृतिक विविधता देखने को मिल रही है। यहां तुर्किये, ब्राजिल, केन्या व मिस्र की संस्कृति की देखने को मिलेगी। इसमें पारंपरिक संगीत, नृत्य और कला का प्रदर्शन शामिल है। 

इस उत्सव में अमर उजाला नॉलेज पार्टनर है। सानिध्य की कथक नृत्यांगना शिखा खरे की प्रस्तुति ने गणेश स्तुति ‘गाइये गणपति जग वंदना’, ठुमरी भाव नृत्य ‘काहे रोकता डगर प्यारे’ पर खूब तालियां बटोरीं। खरे ने बताया कि उनकी प्रस्तुति तकनीक और भाव पर आधारित है। उनका उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय परंपरा को आगे ले जाना है। उन्होंने बताया कि वह मशहूर पंडित बिरजू महाराज की शिष्य हैं। अब वह उनके द्वारा सिखाई गई परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। मंच में आठ वर्ष से लेकर 50 वर्ष से अधिक साल की नृत्यांगनाओं ने उनका साथ दिया। इस दौरान अवनि, अना, आराधय, आर्या के साथ कई नृत्यांगना शामिल रहीं। साथ ही, अभिराज दरबारी, चिनांशा शर्मा व शीतल रावत बैंड ने प्रस्तुति दी। 

नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दिया संदेश
उत्सव में मानों मौसम भी साथ दे रहा हो। कॉलेज छात्रों ने नुक्कड़ नाटक मंचित किया। इसमें जीसस एंड मैरी कॉलेज की नाटक समिति ने फैक्ट्री मजदूरों के अधिकारों की जागरूकता पर नाटक का मंचन किया। टेक्निया कॉलेज के छात्रों ने जीवन के अलग-अलग रंग पर आधारित नाटक का मंचन किया। उत्सव में 11 स्टॉल लगाए गए हैं। यहां सामाजिक स्थिरता, वैश्विक जागरूकता और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देती है। इसमें कल्चरल जोन, फूड पैवेलियन, पारंपरिक संगीत, नृत्य और कला का प्रदर्शन शामिल है। यहां कोई दोस्तों के साथ, तो कोई परिवार के साथ पहुंचा था।

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