दिल्ली को नहीं मिली कोई अतिरिक्त धनराशि

रैपिड रेल पर काम कर रहे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) को इस बार भी कमोबेश पिछले वित्तीय वर्ष की तरह ही आवंटन किया गया है। वहीं, रेलवे ने भी किसी नई योजना पर दांव नहीं लगाया है।

दिल्ली-एनसीआर की आवाजाही बेहतर करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसी नई योजना की घोषणा नहीं की है। इसकी जगह निर्माणाधीन व प्रस्तावित योजनाओं को पूरा करने करने पर जोर दिया गया है। यही वजह है कि बजटीय प्रस्तावों में अतिरिक्त खर्च का प्रावधान नहीं किया गया है।

रैपिड रेल पर काम कर रहे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) को इस बार भी कमोबेश पिछले वित्तीय वर्ष की तरह ही आवंटन किया गया है। वहीं, रेलवे ने भी किसी नई योजना पर दांव नहीं लगाया है। दिल्ली-एनसीआर की आवाजाही बेहतर करने के लिए एनसीआरटीसी रैपिड रेल के तीन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसमें से दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर निर्माणाधीन है।

साहिबाबाद से दुहाई के बीच इसके एक हिस्से पर रैपिड रेल चल भी रही है। जून 2025 तक कॉरिडोर पूरा करने का लक्ष्य है। वहीं, दिल्ली-गुरूग्राम-एसएनबी-अलवर कॉरिडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर अंतिम मंजूरी के इंतजार में है। दोनों प्रोजेक्ट फिलहाल केंद्र सरकार के पास हैं। मंजूरी मिलने के बाद इन पर काम होगा।

डीएमआरसी के अधिकारियों का कहना है कि बजट देशभर की मेट्रो के लिए दिया गया है। अब आवास और शहरी कार्य मंत्रालय यह तय करेगा कि किस शहर को कितनी रकम देनी है। फिलहाल, हमारा जोर फेज-चार के कॉरिडोर को नियत समय पर पूरा करने का है।

रेलवे का भी पुरानी योजनाओं पर ध्यान
रेलवे नई दिल्ली, आनंद विहार, बिजवासन समेत दिल्ली-एनसीआर के अपने स्टेशनों की पुनर्विकास पर काम कर रहा है। वहीं, नजदीकी शहरों से बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए वातानुकूलित वंदे मेट्रो चलाने की भी योजना है। रेलवे का इस साल पुरानी योजनाओं को पूरा करने पर ध्यान रहेगा। बजट में रेलवे के लिए किसी नई योजना की घोषणा नहीं की गई है। रेल अधिकारी भी मानते हैं कि पुरानी योजनाओं के पूरा होने के बाद रेलवे दिल्ली-एनसीआर को नई रफ्तार देगी।

केंद्रीय बजट में देशभर की मेट्रो व एमआरटीएस के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 21,335.98 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। इसमें से 21247.94 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च और 88.04 करोड़ रुपये राजस्व पर खर्च होंगे, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार ने 19,518 करोड़ रुपये खर्च का प्रस्ताव रखा था।

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