एम्स दिल्ली में बढ़ते मरीजों के बोझ को कम करने के लिए देश के अन्य एम्स के साथ मिलकर रैफरल नीति तैयार करेगा। इसके तहत जिन राज्यों में पहले से एम्स की सुविधा मौजूद हैं, वहां के मरीजों को दिल्ली आने से रोकने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए उन राज्यों के एम्स की सुविधाओं में विस्तार किया जाएगा। स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही कृत्रिम बुद्धिमता की सहायता से सेवाओं को उन्नत बनाया जाएगा। मौजूदा समय में एम्स, दिल्ली में 30 से 40 फीसदी मरीज उन राज्यों से आते हैं, जहां पहले से एम्स की सुविधा मौजूद हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा सहित अन्य राज्य शामिल हैं।
कई बार इन मरीजों को इलाज के दिल्ली में काफी दिनों तक रहना पड़ता है। अब कोशिश की जा रही है कि इन्हें दिल्ली आने से पहले अपने राज्य के एम्स में जाने को कहा जाएगा। दिल्ली आने से पहले उन्हें उक्त राज्य के एम्स से रेफर लैटर लेना होगा। एम्स सूत्रों का कहना है कि एम्स में आने वाले लगभग 40 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें सामान्य इलाज व परामर्श देकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन उक्त राज्य के एम्स के बारे में जानकारी न होने व अन्य कारणों से मरीज दिल्ली का रुख करते हैं। इसे रोकने के लिए एम्स सभी एम्स के साथ मिलकर एक डैश बोर्ड बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है। इसकी मदद से आसपास के एम्स में खाली बिस्तरों की जानकारी मिल सकेगी। साथ ही उक्त एम्स में उपलब्ध इलाज के बारे में जानकारी भी मिल सकेगी।
आभा आईडी से मिलेगी बड़ी मदद
एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक एम्स दिल्ली आभा आईडी पर इलाज की सभी जानकारी उपलब्ध करवा रहा है। इनकी मदद से देश के किसी भी अस्पताल में मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देख सकेगा। सूत्रों का कहना है कि आभा की मदद से मरीज की रिपोर्ट दूसरे एम्स में भी देखी जा सकेगी। ऐसे में रिपोर्ट व मेडिकल हिस्ट्री के लिए मरीज को एम्स दिल्ली पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। इसमें देश के दूसरे राज्यों में काम करने वाले डॉक्टर एम्स दिल्ली के साथ तैयार हो रहे रेफर मॉड्यूल के जरिए दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के साथ मरीज की रिपोर्ट साझा कर सकेंगे। अगर दिल्ली एम्स के डॉक्टर को लगता है कि मरीज को उनके अस्पताल में भेजने की जरूरत है तो वे उसे रेफर मॉड्यूल के जरिए ही बुलवा सकेंगे।
अभी मिलती है लंबी तारीख
एम्स में इलाज करवाने आ रहे मरीजों की भीड़ के कारण मरीजों को दो से तीन साल लंबी की तारीख दी जाती है। ऐसे में एम्स दिल्ली की कोशिश है कि यदि कोई गंभीर मरीज भी दिल्ली आता है तो उसे स्थिर कर उसके राज्य के एम्स में भेज दिया जाए। साथ ही फॉलोअप के लिए उसी राज्य के एम्स में बुलाया जाए। इससे दिल्ली एम्स में आने वाले मरीजों का बोझ घटेगा। अन्य मरीजों की वेटिंग कम हो सकती है।
दिल्ली के अस्पतालों नहीं हो सकी लागू
एम्स दिल्ली ने दिल्ली के अस्पतालों के साथ रेफरल नीति बनाने की दिशा में प्रयास किया था। लेकिन अभी तक बात नहीं बन सकी। इसे लेकर एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने सफदरजंग सहित 20 से अधिक अस्पताल के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। बैठक में रेफरल नीति बनाने का विचार किया गया था। यह योजना अभी भी ठंडे बस्ते में है। यहीं कारण है कि एम्स के आपातकालीन विभाग में आने वाले ज्यादातर मरीजों को सुविधा नहीं मिल पाती और उन्हें परेशान होना पड़ता है।