दक्षिण कोरिया ने चांद पर अपना पहला मिशन भेज दिया है। इसका नाम दानूरी है। इसको चांद तक पहुंचने में साढ़े चार माह का समय लगेगा। दिसंबर के बाद इसका असली काम शुरू हो जाएगा। दक्षिण कोरिया के लिए ये इतिहास रचने जैसा है।
दक्षिण कोरिया ने चांद पर अपने पहले मिशन के रूप में अपने आर्बिटर को लान्च कर दिया हे। इसको स्पेस एक्स के फालकान 9 राकेट से लान्च किया गया है और अब ये अपने तय स्थान की तरफ बढ़ रहा है। इसको चांद की धरती पर पहुंचने में करीब साढ़े चार महीने का समय लगेगा। दक्षिण कोरिया ने इसको अपने अंतरिक्ष मिशन में एक अहम पड़ाव बताया है। आपको बता दें कि चांद पर अब तक भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ, सोवियत संघ, जापान और चीन ने ही मिशन भेजा है। अब इस लिस्ट में दक्षिण कोरिया का भी नाम जुड़ जाएगा।
दक्षिण कोरिया के इस पाथफाइंडर लूनार आर्बिटर का नाम दानूरी है। अपने चांद की तरफ बढ़ने की राह में इसके सोलर पैनल ठीक तरीके से काम कर रहे हैं। साउथ कोरिया की तरफ से कहा गया है कि आर्बिट सही तरह से काम कर रहा है और ठीक तरह से इसमें पावर जनरेट हो रही है। इसके सभी डिवाइस भी सही से काम कर रहे हैं।
दानूरी की तरफ से अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को कैनबरा में डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए इसके सिग्नल भी मिलने लगे हैं। दक्षिण कोरिया ने कहा है कि इस लान्च के साथ उसने इतिहसा रच दिया है। एक बयान में कहा गया है कि इस आर्बिटर को अभी लंबा रास्ता तय करना है। इसका ये मिशन करीब एक साल का है। बयान में कहा गया है कि पहले इसको दो दिन पूर्व लान्च किया जाना था, लेकिन मेंटेनेंस की वजह से इसमें दो दिन की देरी हा गई। बता दें कि ये दक्षिण कोरिया का पहला स्पेस मिशन है।
अपने इस मिशन में ये आर्बिटर चांद पर वहां की मैग्नेटिक स्ट्रेंथ, गामा किरणे और दूसरी चीजों का पता लगाएगा। इसमें अलग-अलग प्रयोगों के लिए करीब छह इंस्ट्रूमेंट्स लगाए गए हैं। इसका ये मिशन दिसंबर से शुरू हो जाएगा। बता दें कि दक्षिण कोरिया 2031 तक चांद पर अपने लैंडिंग मोड्यूल को भेजने का प्लान बना रहा है। जून में ही दक्षिण कोरिया ने अपने स्वदेशी तकनीक से निर्मित पहले राकेट नूरी को लान्च किया था। ये राकेट 1 टन से अधिक वजनी सैटेलाइट को लेकर गया था।