नई दिल्ली हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को हमेशा समाजिक परंपराओं को निभाते और मानते हुए देखा गया है, जैसे कि वे हमेशा ही पारंपरिक कपड़े, और गहने, पहनती हैं, माथे पर बिंदी लगाती हैं और सर पर घूंघट लेती हैं।
भारत में महिलाओं दृारा सिर को ढकने की प्रथा ने हमेशा ही हमारे अंदर जिज्ञासा बढाई है, खासतौर पर उन लोगों के लिये जो भारतीय संस्कृति से बिल्कुल अलग हैं। हिंदू परंपराओं के पीछे छुपे विज्ञान को समझना है जरुरी
सिर पर घूँघट डालना अपने से बड़ों के सम्मान के रूप में देखा गया है, इसलिए महिलाएं अपनों से बड़ों के सामने अक्सर घूँघट करती हैं। शहरों में यह कुछ कम देखने को मिलता है मगर गांवों में आज भी महिलाएं अपने सर, चेहरा और गर्दन को पुरुषों से ढांक के रखती हैं।
क्या कहता है हिंदू ग्रंथ: आपको यह जान के आश्चर्य होगा कि हिन्दू धर्म ग्रंथों में महिलाओं को पर्दे में रहने का कोई उल्लेख नहीं है। यहां तक कि पूजा के समय भी सर पर घूँघट रखना जरूरी नहीं है।
सुरक्षा के कारण: कुछ धर्मो में पर्दा रखना इसलिए जरुरी है, क्योंकि यह माना जाता है कि अगर महिलाएं खुद को पर्दे में रखेंगी तो वे अन्य पुरुषों से सुरक्षित रहेंगी। महिलाएं केवल अपने पति या पिता के सामने बेपर्दा हो सकती हैं।
मुस्लिम का आक्रमण: महिलाओं को पर्दे में रखने का रिवाज मुस्लिम शासन के बाद से हुआ है। भारत में राजपूत शासन के दौरान महिलाओं को आक्रमणकारियों के बुरे इरादों से बचाने के लिए उन्हें पर्दा में रखा जाता था। इसका सबसे बड़ा उदहारण हैं चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जिनकी खूबसूरती को देख कर अल उद दीन खिलजी ने उन्हें पाने के लिए चित्तौड़ पर आक्रमण कर था। लेकिन रानी पद्मिनी ने जौहर का प्रदर्शन किया और दुश्मन के चंगुल से बचने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया। तब से भारत में महिलाओं को पर्दे में रखने का रिवाज शुरू हो गया।