प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के मुस्लिम नेताओं से कहा कि वे तीन तलाक मुद्दे को राजनीतिकरण से बचाकर उसमें सुधार की शुरुआत करें। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की एक विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के तत्वावधान में मुस्लिम समुदाय के 25 नेताओं से मुलाकात की और कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत सद्भाव तथा मेलजोल है और लोगों के बीच भेदभाव करने का सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है।
विविधता में एकता को भारत की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की नई पीढ़ी को विश्व में बढ़ते चरमपंथ का शिकार बनने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए। विज्ञप्ति के मुताबिक, “तीन तलाक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने दोहराया कि मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए और उन्होंने मौजूद सभी नेताओं से इस संबंध में सुधार शुरू करने की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा।” विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के रुख की प्रशंसा की।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कश्मीर घाटी के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि ‘केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे का समाधान कर सकते हैं।’ इस बात का उल्लेख करते हुए कि नया भारत बनाने में मुस्लिम समुदाय बराबर की साझेदारी का इच्छुक है, प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने कहा कि आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है और उन्होंने इससे पूरी ताकत के साथ निपटने का संकल्प जताया।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की जिम्मेदारी है कि किसी भी हालात में किसी को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करने देना चाहिए। विज्ञप्ति के मुताबिक “प्रतिनिधिमंडल में मौजूद नेताओं ने कहा कि मुस्लिम समुदाय भारत के खिलाफ किसी भी साजिश को कभी भी सफल नहीं होने देगा।”
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य शैक्षणिक संस्थानों से भी थे, जिन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं जैसे स्टार्ट-अप योजना का उनके संस्थान ने भी फायदा उठाया। विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की भी प्रशंसा की। प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है और यह भारतीय समाज के हर तबके की जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्र को आगे ले जाए।
प्रतिनिधिमंडल में जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मनसूरपुरी, संस्था के महासचिव मौलाना महमूद ए. मदनी, मुंबई के अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष जहीर आई. काजी, शिक्षाविद् अख्तरुल वासे तथा मौलाना बदरुद्दीन अजमल भी शामिल थे।