New Delhi: Asia में भारत के बढ़ते दबदबे से खुन्नस खाया China पहले ही Pakistan में बड़ा निवेश कर के उसे अपना ‘बेस्ट फ्रेंड’ बना चुका है। अब China अपनी इसी रणनीति के तहत Nepal को भी भारत के खिलाफ खड़ा करने की जुगत में है। इसके लिए China ने पहले ही जमीन तैयार करनी शुरू कर दी थी। एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के मकसद से ही China लगातार Nepal में अपना निवेश बढ़ाता जा रहा है। स्थिति यह है कि अब वह Nepal में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है।अभी-अभी: संयुक्त राष्ट्र ने भारत को बताया सबसे सुरक्षित देश, कहा- यहां सभी धर्मों के लोग…
पश्चिमी Nepal में धारचुला की स्थिति एकदम डोकलाम की तरह ही है। धारचुला Nepal, China और भारत के ट्राइजंक्शन के बीच आता है। 1814-16 में हुए ऐंगलो-नेपाली युद्ध के समय से ही भारत और Nepal के बीच इस शहर को लेकर संधि अस्तित्व में आ गई थी। Nepal की काली नदी के ऊपर बने ब्रिज से Nepal और भारत में उत्तराखंड राज्य एक-दूसरे से जुड़े हैं। 1950 में तिब्बत पर China के कब्जा करने से पहले धारचुला तिब्बत-Nepal-भारत के बीच व्यापार रास्ते के लिए एक अहम शहर था।
भारत से ज्यादा China कर रहा है निवेश : Nepal में वित्त वर्ष 2017 में 15 अरब नेपाली रुपयों का विदेशी निवेश हुआ है। इसमें से आधे से भी ज्यादा यानी 8.35 अरब नेपाली रुपये का निवेश China ने किया है। इसी वित्त वर्ष में भारत ने Nepal में 1.99 अरब रुपयों का निवेश किया है तो वहीं दक्षिण कोरिया ने 1.88 अरब नेपाली रुपयों का।
इसी साल मार्च में Nepal के इनवेस्टमेंट समिट में China सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा। China ने Nepal को 8.2 अरब डॉलर की मदद का वादा किया। वहीं Nepal को इस समिट से 7 देशों की तरफ से कुल 13.52 अरब डॉलर का निवेश मिला।
भारत-चीन के बीच जारी डोकलाम विवाद दोनों एशियाई पड़ोसियों के बीच व्यापार युद्ध में बदल सकता है। China की कंपनियों ने भारत के बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक मार्केट को भी पीछे छोड़ दिया है और Nepal में 22 अरब डॉलर का व्यापार कर रही हैं। 3 साल पहले ही Nepal के सबसे बड़े विदेशी निवेशक के तौर पर भारत को पछाड़ कर China सबसे बड़ा निवेशक बन गया था।
हर टेंडर में कम से कम बोली लगाकर China ने Nepal में कुछ बड़े-बड़े प्रॉजेक्ट्स अपने नाम कर लिए हैं। चाहे वह पोखरा इंटरनैशनल एयरपोर्ट हो या कुछ हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्रॉजेक्ट्स, अब China के पास Nepal के सबसे ज्यादा प्रॉजेक्ट्स हैं। आंकड़ों में देखें तो Nepal में फिलहाल 341 बड़े प्रॉजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इनमें से 125 China के पास हैं, 55 दक्षिण कोरिया के पास, 40 अमेरिका, 23 भारत, 11 यूके और 69 अन्य देशों के पास हैं।
‘द इकनॉमिस्ट’ ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि China ने तिब्बती समूहों को Nepal में घुसपैठ कराई थी। इनमें से अधिकतर तिब्बतियों के पास China के पासपोर्ट थे और चीनी दूतावास के अधिकारियों ने इन लोगों और नेपाली प्रशासन के बीच डील कराने में मदद की थी। काठमांडू के एक होटल में काम करने वाले एक शख्स सेरिंग चॉयडन ने बताया कि पहले Nepal में अमेरिकी दूतावास सबसे ज्यादा ताकतवर था लेकिन अब China का दूतावास सबसे आगे है।