जेडीयू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा सरकारी रिकार्ड और दस्तावेजों में डॉ. अम्बेडकर का नाम बदलकर ‘डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर’ किए जाने पर आपत्ति जतायी है. विधानसभा में जेडीयू के उपनेता रजक ने गुरुवार को आरोप लगाया कि उत्तरप्रदेश की सरकार द्वारा उक्त संबंध में अधिसूचना जारी किये जाने की चर्चा मनुवाद के एजेंडे को थोपना और दलितों के अधिकार से लोगों का ध्यान हटाने की एक कोशिश है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि बाबासाहेब के पिता का नाम रामजी था. उन्होंने हस्ताक्षर करने के समय इसे शामिल किया पर यह भी एक तथ्य है कि अम्बेडकर उनके परिवार का नाम नहीं था, लेकिन उन्हें उनके शिक्षक द्वारा यह नाम दिया गया था.
उनके परिवार का नाम सक्पाल था. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई इस कोशिश से शरारत की ‘बू’ आती है. रजक ने कहा कि ऐसा लगता है कि मनुवाद के एजेंडा को लागू करने की यह एक और कोशिश है. ऊंची जाति के आधिपत्य को बनाए रखने में रुचि रखने और धर्मार्थ होने का दावा करने वाले शुद्धिकरण चाहते हैं, पर वे ऐसा करके वास्तव में वे दलितों को अपमानित करते हैं.
उन्होंने कहा कि अम्बेडकर के नाम में बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब संविधान द्वारा दिए गए अपने अधिकार की मांग करने दलितों पर हर तरफ से प्रहार हो रहा है. रजक ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य सरकारें अपने ऐसे इरादों से बाज आए, क्योंकि दलित बहुत ही आक्रोशित हैं और इसका उन्हें गंभीर राजनीतिक परिणाम न भुगतना पडे़.
प्रदेश ही नहीं पूरे देश में बाबा साहब का नाम सही लिखा जाये – राम नार्इक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नार्इक ने आज कहा कि अंबेडकर के नाम पर राजनीति करना गलत है. वह सिर्फ यह चाहते हैं कि बाबा साहब का नाम प्रदेश ही नहीं पूरे देश में सही लिखा जाये. नाईक ने बताया कि बाबा साहब का नाम अंग्रेजी में डा. बी आर अंबेडकर लिखा जाता है. लोग ‘बी’ को भीम और ‘आर’ को राव समझते है, जबकि ‘आर’ का मतलब राम है, जो उनके पिता का नाम था. लिहाजा, प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में बाबा साहब की तस्वीर लगाई जाये और उसके नीचे उनका पूरा नाम डा. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा जाये.
उन्होंने कहा कि सिर्फ प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में उनका नाम सहीं किया जाना चाहिए. इसके लिए राष्ट्रपति व गृह मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया जा चुका है. इस पर राजनीति करना गलत है. राज्यपाल सेक्टर-6 स्थित इंदिरा गांधी कला केंद्र में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे. उन्होंने बताया कि नाम की गलती आगरा के विवि में आयोजित दीक्षांत समारोह के निमंत्रण पत्र से मिली. दरसअल, उसका नाम डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय है, जबकि अंबेडकर का नाम आंबेडकर है.