उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात के लिए सबसे मनहूस जगह को चुना है. सिंगापुर के जिस सेंटोसा टापू पर विश्व शांति कायम करने के लिए वार्ता होने जा रही है, उसका इतिहास बड़ा भयानक है.
दो वर्ग मील तक फैले इस टापू में करीब 200 साल पहले समुद्री डाकुओं का आतंक हुआ करता था, जो व्यापारियों को लूटते थे और उनको मौत के घाट उतार दिया करते थे.
इसी टापू पर 76 साल पहले हजारों लोगों का नरसंहार हुआ था और 35 साल पहले तेल निकालने वाले जहाज की वजह से एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था और टूरिस्ट केबल कार के दो कैरेज समुद्र में जा गिरे थे.
इतने बड़े-बड़े हादसों और दर्दनाक वारदातों के बाद लोगों ने इस जगह को ही शापित मान लिया था. लिहाजा फिर तय हुआ कि इस टापू की मनहूसियत को खत्म करने के लिए इसका नाम ही बदल दिया जाए और तब इसे नया नाम मिला सेंटोसा.
टेलीग्राफ के मुताबिक साल 1972 तक सेंटोसा द्वीप को ‘पुलाऊ बेलकांग मति’ (Pulau Blakang Mati) नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है – मृत्यु का द्वीप (Island of Death from Behind).
अब इत्तेफाक देखिए इसी शापित जगह से विश्वशांति कायम करने की शुरूआत होने जा रही है. 12 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग उन सिंगापुर के इसी सेंटोसा द्वीप पर पहली बार एक-दूसरे से मिलेंगे.
यहां स्थित पांच सितारा होटल कपेला (Capella) में एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे. वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच सिंगापुर समिट की जगह सेंटोसा द्वीप का होटल कपेला होगी. हम इस मेहमान नवाज़ी के लिए सिंगापुर के लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं.
भारतीयों के बीच भी लोकप्रिय है यह टापू
सिंगापुर का सेंटोसा टापू भारतीय पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. 1690 लोगों की आबादी वाले इस टापू में हर साल दो करोड़ पर्यटक आते हैं. 12 जून को होने वाली वार्ता से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन सिंगापुर के सेंटोसा टापू पहुंच चुके हैं. अब दुनिया भर की निगाहें, दोनों की मुलाकात पर टिकी हुई है.