जेट एयरवेज की उड़ान बंद होने के बाद कर्मचारी सड़क पर उतर गए हैं। बृहस्पतिवार को कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे। प्रदर्शनकारी जेट एयरवेज की उड़ान बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले को कर्मचारियों ने जेट एयरवेज को आर्थिक संकट से उबारने की मांग को लेकर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआइ) एयरपोर्ट पर शनिवार को प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने मानव श्रृंखला भी बनाई थी।
प्रदर्शन में जेट एयरवेज के पायलट, तकनीकि व सुरक्षा सहित अन्य कर्मियों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने जेट एयरवेज बचाओ, हमारा भविष्य बचाओ के बैनर भी ले रखे थे। वहीं, उन्होंने बकाया वेतन दिए जाने की भी मांग की।
कंपनी ने बुधवार रात को अपनी आखिरी फ्लाइट संचालित की और गुरुवार से सभी उड़ानें अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया है। बुधवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की अगुआई वाले बैंकों के कर्जदाता समूह ने जेट को 400 करोड़ रुपये की आपात वित्तीय मदद देने से इन्कार कर दिया था।
नागरिक विमानन महानिदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक, यदि जेट की उड़ानें शीघ्र बहाल न हुईं तो इसका एयर ऑपरेटर लाइसेंस भी रद हो सकता है। बुधवार को दिन में जेट एयरवेज के पांच-छह विमानों ने कुछ घरेलू उड़ाने भरीं, लेकिन इनमें यात्रियों की संख्या काफी कम थी। जेट की उड़ाने बंद होने का असर दूसरी एयरलाइंस पर भी पड़ने लगा है। एक तरफ तो उनकी बुकिंग अचानक बढ़ गई है। दूसरी तरफ बढ़ती मांग की भरपाई के लिए अतिरिक्त संसाधन झोंकने में उन्हें अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
इन विमानन कंपनियों ने पायलटों की कमी से उबरने के लिए जेट के पायलटों को ऑफर देना शुरू कर दिया है। लेकिन, साढ़े तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के बावजूद जेट के 1,100 पायलटों में बहुत कम इसे छोड़ने के इच्छुक हैं और एयरलाइन के साथ रहकर ही संघर्ष करना चाहते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि स्पाइसजेट जैसी लो-कॉस्ट विमानन कंपनियों ने जेट के इच्छुक पायलटों को उनके मौजूदा वेतन के मुकाबले 30 फीसद तक कम वेतन ऑफर किया है।