शिशु का शरीर नाजुक होता है इसलिए माता-पिता हर छोटे-बड़े बदलावों से परेशान हो जाते हैं। शिशु के शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान देना भी जरूरी है। सर्दियां शुरू होते ही शिशुओं में संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में बुखार की समस्या भी आम होती है। सिर का गरम होना बुखार का पहला लक्षण माना जाता है। लेकिन आपके शिशु का सिर गरम हो इसका कारण केवल बुखार नहीं हो सकता। कई अन्य स्थितियां हैं जिसमें शिशु का सिर गरम हो जाता है। इस लेख में हम शिशु का सिर गरम होने के कारण और उपाय जानेंगे।
कई कारण हैं जिसके चलते शिशु का सिर और शरीर गरम हो सकता है। 6 माह या उससे ज्यादा उम्र में शिशु को गरम आहार देने के कारण सिर का तापमान बढ़ सकता है। वहीं जिन बच्चों के दांत निकलने लगते हैं, उनके शरीर और सिर का तापमान भी गरम महसूस हो सकता है। कुछ अन्य कारण भी जान लें-
तापमान में गरमाहट
अगर शिशु के आसपास का तापमान गरम है, तो उसका सिर गरम हो सकता है। कई बार शिशु को सर्दियों में माता-पिता ज्यादा कपड़े पहना देते हैं या कंबल में लपेटकर सुलाते हैं इससे शिशु के सिर का तापमान गरम हो जाता है। वहीं कमरे में ब्लोअर या हीटर के ज्यादा इस्तेमाल से वातावरण में गरमाहट का असर शिशु के शरीर पर पड़ सकता है।
मां की त्वचा के संपर्क में आना
अगर नवजात शिशु मां या किसी की त्वचा के संपर्क में आते हैं, तो उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। कंगारू मदर थेरेपी में शरीर की गरमाहट से बच्चे का वजन बढ़ाने की कोशिश की जाती है इसलिए आपके शिशु का सिर गरम हो गया है, तो कुछ समय के लिए उसे गोदी में न लें।
दवाओं के कारण सिर हो जाता है गरम
अगर बच्चे को दवा दे रहे हैं, तो उसके बुरे असर के कारण बच्चे का सिर गरम हो सकता है। दवा लेने से शरीर के तापमान में फर्क आता है और बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाता है जिससे सिर गरम हो सकता है। दवा लेने से से शरीर का शारीरिक तापमान प्रभावित होता है।
शिशु का सिर गरम होने से कैसे बचाएं?
- शिशु को सर्दियों में ज्यादा न ढकें।
- शिशु को हवादार कमरे में सुलाएं।
- हीटर या ब्लोअर चलाकर शिशु को न सुलाएं।
- शिशु के शरीर को हर दिन साफ करें और कपड़े बदलें।
- शिशु को स्तनपान के बाद तुरंत न सुलाएं, कुछ देर गोदी में लेकर वॉक करें।
- सर्दियों में दिनों में शिशु को तेज धूप में लेकर जाने से बचें।
डॉक्टर से संपर्क कब करें?
निम्न लक्षण नजर आने पर आपको शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए-
- शिशु को ज्यादा पसीना आना
- मुंह सूखना या शरीर का तापमान बार-बार बदलना
- सांस लेने में तकलीफ
- शिशु का पेशाब न करना
- शिशु के शरीर का तापमान 38° सेल्सियस से ज्यादा होना