जाने किस दिन है होलिका दहन और होली, जानें शुभ मुहूर्त और कथा

होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तारीख से आरंभ होती है। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है, जो दो दिनों का होता है। पूर्णिमा तिथि के दिवस प्रदोष काल में होलिका पूजा और दहन किया जाता है। जबकि दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस साल की होली में विशेष योग बना रहा है, जिससे इसका महत्व बढ़ रहा है। होली के ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे और मकर राशि में शनि व गुरु विराजमान होंगे। वहीं शुक्र ग्रह और ग्रहों के देवता सूर्य मीन राशि में रहेंगे।

होलिका दहन 2021 का शुभ मुहूर्त

इस साल होलिका दहन 28 मार्च 2021 रविवार के दिन होगा। शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक है। वहीं अगले दिन सोमवार 29 मार्च को देशभर में धूमधाम से रंगों का त्योहार मनाया जाएगा। लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर बधाई देंगे।

22 मार्च से होलाष्टक

22 मार्च से होलाष्टक लग जाएंगे। होली के 8 दिन पहले कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन दिनों कार्य के बिगड़ने की आशंका ज्यादा रहती है। वहीं व्यक्ति विकारों, शंकाओं और दुविधाओं का सामना करता है।

होलिका दहन लौ पर कई मान्यता

हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की लौ का मनुष्यों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। अगर आग की लौ आकाश तरफ उठे इसे शुभ माना जाता है। लौ पूर्व दिशा की ओर उठे तो रोगजार और स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। पश्चिम दिशा में उठे तो आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। उत्तर की ओर जाएं तो सुख-शांति बनी रहती हैं। वहीं दक्षिण की ओर इसे अच्छा नहीं माना गया है।

होली की कथा

होली से जुड़ी कई कहानियां हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद की कहानी है। प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक असुर था। उसने कठिन तपस्या कर ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त कर लिया। वह किसी मनुष्य द्वारा नहीं मारा जा सकेगा, न पशु, न दिन- रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र और न किसी शस्त्र के प्रहार से मरेगा। इस वरदान ने उसे अहंकारी बना दिया था, वह खुद को भगवान समझने लगा था। वह चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र था प्रह्राद, जो विष्णु जी का उपासक था। हिरण्यकशिपु अपने बेटे के द्वारा विष्णु की आराधना करने पर बेहद नाराज रहता था, उसने उसे मारने का निर्णय ले लिया। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर प्रज्जवलित आग में बैठ जाएं, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। जब होलिका ने ऐसा किया तो प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com