पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के जम्मू-कश्मीर के झंडे की बहाली तक कोई भी झंडा न उठाने संबंधी बयान देने के बाद बवाल मच गया है। भाजपा ने महबूबा को पाकिस्तान चले जाने की सलाह देते हुए कहा है कि दुनिया की कोई ताकत अब जम्मू-कश्मीर में अलग से झंडा नहीं लगा सकती। दूसरी ओर विहिप ने कहा कि अब नए जम्मू-कश्मीर में महबूबा के पुनर्वास की कोई जगह नहीं बची। इस बयान के लिए विश्व हिंदू परिषद ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात की है।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि जम्मू कश्मीर में महबूबी मुफ्ती की कोई जरूरत नहीं है, वह कोई झंडा उठाएं या नहीं कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। जम्मू कश्मीर के लोगों के दिलों में तिरंगा झंडा बसा है।
उनके मन में भारत माता बसती है। जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग था, है और हमेशा रहेगा। यहां सिर्फ तिरंगा झंडा ही फहराया जाएगा। दुनिया की कोई ताकत अब जम्मू-कश्मीर में अलग से कोई झंडा नहीं लगा सकती है। अगर महबूब मुफ्ती को पाकिस्तान से इतना ही प्यार है तो वह भारत छोड़ जाएं।
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के प्रदेश कार्यकारी प्रधान राजेश गुप्ता ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए भारत सरकार को डकैत बताया है। वे मानसिक संतुलन खो बैठी हैं। महबूबा ने कश्मीर में अपना राजनीतिक आधार खो दिया है। जम्मू-कश्मीर की जनता अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पक्ष में रही है। महबूबा के पास अपने पुनर्वास के लिए कोई गुंजाइश नहीं बची है। श्री राम मंदिर के मुद्दे का उल्लेख करके महबूबा ने सर्वोच्च न्यायालय का अनादर करने का प्रयास किया है। उन्होंने महबूबा को ऐसी बयानबाजी के लिए एफआईआर या कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
चौदह माह तक नजरबंद रहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रिहा होते ही कश्मीर घाटी में अलगाववाद को हवा देनी शुरू कर दी है। नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला के चीन की मदद से 370 बहाल करवाने के बयान के बाद महबूबा मुफ्ती ने भी शुक्रवार को अपनी अलगाववादी सोच स्पष्ट कर दी है। प्रेस कांफ्रेंस ने उन्होंने कहा कि आज के भारत के साथ वह सहज नहीं हैं।
महबूबा ने कहा, आज के भारत में अल्पसंख्यक, दलित आदि सुरक्षित नहीं हैं। यह एक सियासी जंग है जो कि डॉ. फारूक, उमर या सज्जाद लोन अकेले नहीं लड़ सकते और एक साथ होकर भी नहीं लड़ सकते। हमें लोगों का साथ चाहिए। महबूबा ने कहा, आज तक यहां के लोगों का खून बहा और अब हम जैसे लीडरों की खून देने की बारी है। हम हिंसा नहीं चाहते लेकिन वे हिंसा चाहते हैं।
महबूबा ने कहा, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी यहां ऐसे कानून लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई जिससे जम्मू-कश्मीर में लोग हिंसा पर उतर आएं। चाहे वो उर्दू भाषा की बात हो, डोमिसाइल कानून हो या अन्य कानून। जिस दौरान मैं जेल में बंद थी तो मुझे लगता था कि इन लोगों (केंद्र सरकार) ने पीडीपी को खत्म कर दिया लेकिन बाहर आने पर मैंने कार्यकर्ताओं से बात की तो साफ लगा कि हर कार्यकर्ता मुफ्ती साहब के एजेंडे के साथ है।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले चुनावों में पार्टी के शामिल होने पर फैसला शनिवार को गठबंधन की बैठक में होगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव नहीं लड़ना भाजपा के लिए खाली मैदान छोड़ना होगा तो उन्होंने इसे काल्पनिक सवाल बताते हुए कहा, हम सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेंगे। फारूक अब्दुल्ला हमारे नेता हैं, इसलिए बैठक में सबकी राय जानने के बाद ही फैसला होगा।
महबूबा ने कहा, कश्मीर मसले का भी हल निकालने की जरूरत है। हमारी पार्टी का यही मकसद है कि जम्मू -कश्मीर को इस दलदल से निकालकर अमन का वातावरण बनाना है। आज एक तरफ चीन हमारे बार्डर पर बैठा है और दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ गतिरोध जारी है। इसका हल मुफ्ती साहब के एजेंडे के तहत बातचीत से ही निकालने की जरूरत है।
एक अन्य सवाल के जवाब में मुफ्ती ने कहा कि हम आवाज उठाएंगे तो वह जेल में डाल देंगे। क्या गांधी जी और मंडेला ने आगे की रणनीति बताकर आंदोलन चलाया था। महबूबा ने कहा कि सब लोगों को साथ लेकर लड़ना है। चाहे स्टेट हो या यूटी, महबूबा मुफ्ती अब सत्ता के लिए नहीं है, मैं पहले भी सत्ता के लिए नहीं थी। अगर उसका लालच होता तो हम कांग्रेस छोड़कर पीडीपी का गठन नहीं करते। भाजपा के साथ गठबंधन कर मेरे पिता ने एक जिन को बोतल में बंद करने की कोशिश की थी। उनको मालूम था कि मुल्क के अंदर बहुत बड़ा तूफान आने वाला है।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, जो कुछ यहां हुआ वह संसद के जरिए हुआ, संसद का दुरुपयोग किया गया जबकि संसद के पास अधिकार नहीं हैं। अगर कश्मीर में सरकार गिरी वो सिर्फ इस कारण थी कि हमने पत्थरबाजों की रिहाई करवाई, जमातियों को रिहा करवाया और आतंकियों के शव उनके परिजनों को लौटाए। बाद में इसी बात का बदला भाजपा ने कश्मीरियों से लिया।
उन्होंने कहा, धर्म के नाम पर लोगों को बांटना भाजपा की नीति रही है लेकिन हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे। महबूबा ने कहा कि भले ही 370 का मामला अदालत में है लेकिन बाहर एक माहौल बनाने की जरूरत है नहीं तो इसका बाबरी मस्जिद वाला हाल होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर देने से हमें बड़ा नुकसान हुआ। वह भाजपा का नहीं बल्कि ऑल पार्टी डेलीगेशन था जोकि हमारे दरवाजों पर बड़ी उम्मीद लेकर आए थे। इसकी वजह से पूरे मुल्क में हमारी छवि खराब हो गई। इस दौरान पीडीपी नेता अब्दुल रहमान वीर, गुलाम नबी लोन हंजूरा, सुहेल बुखारी आदि मौजूद थे।