कोरोना की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर। वे जंगली जानवरों को अपने प्राकृतिक वातावरण में घर बैठे देख सकते हैं। देश के लगभग सभी प्रमुख राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने जा रहे हैं।
अभयारण्य के अधिकारी वीडियो कैमरे लेकर रोज जंगल में निकलेंगे और जो कुछ भी दिखेगा उसका लाइव टेलीकास्ट अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर करेंगे। इसमें दर्शकों को हर समय सस्पेंस रहेगा आगे क्या दिखने वाला है।
यह नेशनल ज्योग्राफिक या डिस्कवरी जैसे चैनलों के कार्यक्रमों से अलग होंगे क्योंकि उनमें डेढ़ सौ से दो सौ घंटों की रिकॉर्डिंग को एडिट कर आधे से एक घंटे के कार्यक्रम में दिखाया जाता है और उसमें दर्शकों को यह भी पता होता है कि उन्हें क्या दिखाया जाने वाला है।
दरअसल लॉकडाउन के चलते पूरी दुनिया के वन्यजीव अभयारण्य बंद हैं। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क ने लाइव स्ट्रीमिंग करने का फैसला किया। पिछले 2 महीनों से लगातार सुबह शाम उनकी तीन एसयूवी कैमरामैन और वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ जंगल जाती हैं और जो भी खास दिखता है उसका लाइव प्रसारण यूट्यूब चैनल पर कर रही हैं।
ये विशेषज्ञ न सिर्फ जंगल, तालाब, नदी, पेड़, पक्षी और जानवरों पर लगातार कमेंट्री कर रहे हैं बल्कि लोगों के सवालों का भी लाइव उत्तर दे रहे हैं। पूरी दुनिया के वन्यजीव प्रेमी धीरे-धीरे उस चैनल से जुड़ गए हैं। इससे प्रेरणा लेकर भारत ने भी वन्यजीव अभयारण्यों से लाइव स्ट्रीमिंग करने का फैसला ले लिया गया है।
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय में इंस्पेक्टर जनरल (वाइल्ड लाइफ) सौमित्र दासगुप्ता ने अमर उजाला को बताया कि इसके लिए जरूरी बातों का अध्ययन किया जा रहा है।
कितनी गाड़ियों, कैमरे, विशेषज्ञों की जरूरत होगी, उन सभी की ट्रेनिंग और जंगल के अंदर से लाइव स्ट्रीमिंग कैसे होगी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के वन मंत्रालयों को जल्द से जल्द अपनी तैयारी पूरी करने को कहा है ताकि मानसून आने से पहले ही यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा सके।
महाराष्ट्र के तडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व ने तो अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर लाइव वेबकास्ट शुरू भी कर दिया है। साथ ही उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी बना लिया है। हालांकि उनके प्रसारण और कमेंट्री की गुणवत्ता क्रूगर नेशनल पार्क के विशेषज्ञों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरती।
देश के जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ और फिल्ममेकर अजय सूरी कहते हैं कि लाइव स्ट्रीमिंग से वन्य जीव अभयारण्यों पर पर्यटकों का दबाव कम हो सकता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले ही वाइल्डलाइफ रिजर्व में जाने वाले वाहनों की संख्या को सीमित कर दिया था।
पिछले कुछ समय से जंगल सफारी हिल स्टेशन पर जाने से भी महंगी हो गई थी। सफारी के वाहन, होटल, खाना-पीना और वन्य जीव अभयारण्य्य तक आने-जाने पर लगभग 15 से 20 हजार रुपए प्रतिदिन का खर्च आता है।
छात्रों और मध्यम वर्ग के लिए इतना खर्च उठा पाना संभव नहीं था। लेकिन अब उन लोगों के लिए भी जंगल सफारी सुलभ हो जाएगी। राजेश पुरी कहते हैं कि हमारे यहां जैव विविधता अफ्रीका से कम नहीं है लेकिन वाइल्डलाइफ सफारी में लोग केवल टाइगर ही देखने जाते हैं। इन कार्यक्रमों से संभव है उनका दृष्टिकोण बदले।
इस वर्ष वन्य जीव अभयारण्य न्यू में पर्यटक सीजन के पीक पर आते ही लॉक डाउन शुरू गया। इससे आजीविका के लिए वन्यजीव पर्यटन पर निर्भर जिप्सी ड्राइवरों और गाइड की आर्थिक हालत खराब हो चली है। इस तरह के कार्यक्रमों से उन्हें भी कुछ राहत मिल सकती है।