उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है, मगर तस्वीर के दूसरे पहलू भी हैं। बदलाव के पक्षधरों और इसे धरातल पर उतारने वालों की कमी नहीं है, जिन्होंने उस धारणा को तोड़ा है कि पहाड़ में रहकर कुछ नहीं हो सकता। तरक्की की इबारत लिखने वाले यही ‘चैंपियन्स ऑफ चेंज’ अब सरकार को बताएंगे कि पलायन कैसे रुकेगा। प्रदेश सरकार ने उनके अनुभवों को एक अप्रैल से सर्वाधिक पलायनग्रस्त 245 गांवों में पलायन थामने को शुरू की जाने वाली कार्ययोजना में शामिल करने की ठानी है। इस कड़ी में 23 मार्च को देहरादून में पलायन आयोग के तत्वावधान में ‘चैंपियन्स आफ चेंज’ का सम्मेलन आयोजित करने को मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी है। राज्य की मौजूदा सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों की श्रेणी में इस सम्मेलन को भी शामिल किया गया है।
पलायन की तस्वीर
गांवों से पलायन की भयावह तस्वीर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक 1702 गांव पूरी तरह निर्जन हो चुके हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट ही बताती है कि 500 से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जहां लोगों की संख्या में 50 फीसद से अधिक की कमी आई है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते बेहतर भविष्य की आस में लोग मजबूरी में अधिक पलायन कर रहे हैं। ये बात भी सही है कि गांवों की तरक्की को तवज्जो देने के लिए नीति नियंताओं ने पूर्व में गंभीरता से प्रयास नहीं किए। अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे इस राज्य के गांवों में अब जाकर पलायन थामने की दिशा में पहल हो रही है।
…चैंपियनों ने लिखी तरक्की की इबारत
पलायन के बीच तस्वीर का सुखद पहलू ये है कि रिवर्स पलायन भी हो रहा है। यानी, जो लोग दशकों पहले महानगरों में पलायन कर गए थे वे वापस पहाड़ लौटे हैं। ये न सिर्फ यहां खुद का कारोबार कर रहे, बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। इसी प्रकार ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिन्होंने पलायन करने की बजाए यहीं रहकर खुशहाली की इबारत लिखने का निश्चय किया। ये भी रिवर्स पलायन करने वाले लोगों की तरह खुद का कारोबार करने के साथ ही दूसरों को रोजगार मुहैया कराने में जुटे हैं। सूरतेहाल, बदली परिस्थितियों में वे चैंपियन बनकर उभरे हैं।
ऐसे मिला ‘चैंपियन्स आफ चेंज’ नाम
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी बताते हैं कि अब तक 400 से ज्यादा ऐसे लोग चिह्नित किए गए हैं, जिन्होंने रिवर्स पलायन कर राज्य में खुद का कारोबार शुरू किया है। इसके साथ ही अब 1500 से ज्यादा ऐसे लोग सूचीबद्ध किए जा चुके हैं, जो पहाड़ में ही रहकर कारोबार कर रहे हैं। अन्य लोगों के लिए नजीर बने इन लोगों को सरकार ने नाम दिया है ‘चैंपियन्स ऑफ चेंज’।
सरकार से करेंगे अनुभव साझा
जड़ों से ही जुड़कर सफलता की कहानी लिखने वाले ‘चैंपियन्स ऑफ चेंज’ अब सरकार से अपने अनुभव साझा करेंगे। राज्य सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में इनके सम्मेलन को भी शामिल किया गया है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.नेगी के अनुसार ग्राम्य विकास और एमएसएमई के सहयोग से 23 मार्च को यह सम्मेलन देहरादून में होगा। मुख्यमंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है। सम्मेलन में करीब 200 चैंपियन्स आफ चेंज को आमंत्रित किया जाएगा। ये अपने अनुभव तो साझा करेंगे ही पलायन रोकने को क्या और कैसे कदम उठाए जा सकते हैं, इस बारे में सुझाव देंगे। सुझावों को पलायन थामने की कार्ययोजना में जगह दी जाएगी।