चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि किसी व्यक्ति द्वारा आधार संख्या प्रस्तुत करने या सूचित करने में असमर्थता के लिए मतदाता सूची में दर्ज किसी भी रिकार्ड को हटाया नहीं जाएगा।
चुनाव आयोग ने बनाया कानून
बता दें कि मौजूदा मतदाताओं के आधार संख्या के संग्रह के लिए एक अगस्त से एक समयबद्ध अभियान शुरू किया जा रहा है। मतदाता सूची के आंकड़ों के साथ आधार संख्या को जोड़ने के लिए संशोधित पंजीकरण फॉर्म में मतदाताओं के आधार विवरण प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। मौजूदा मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने के लिए एक नया फॉर्म-6 बी भी पेश किया गया है। हालांकि, मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाएगा और किसी व्यक्ति द्वारा आधार संख्या प्रस्तुत करने या सूचित करने में असमर्थता के लिए मतदाता सूची में दर्ज जानकारी नहीं हटाई जाएगी।
मतदाता सूची में प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण
चुनाव आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि आवेदकों की आधार संख्या को संभालते समय, आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 37 के तहत प्रावधान का पालन किया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। 1 अगस्त 2022 से मौजूदा मतदाताओं के आधार संख्या के संग्रह के लिए एक समयबद्ध अभियान शुरू किया जा रहा है। इसमें आधार नंबर देना पूरी तरह से स्वैच्छिक है। कार्यक्रम का उद्देश्य मतदाताओं की पहचान स्थापित करना और मतदाता सूची में प्रविष्टियों का प्रमाणीकरण करना है।
अंतिम मतदाता सूची 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित की जाएगी
चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता का नाम मतदाता सूची में केवल उसी स्थान पर हटाया जाएगा, जहां वह सामान्य रूप से निवास नहीं करता है। मतदाता सूची में सुधार के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया है। चुनाव आयोग ने हाल ही में सभी राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को तकनीकी-सक्षम समाधान तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि युवाओं को अपने अग्रिम आवेदन दाखिल करने की सुविधा मिल सके। इस बार अंतिम मतदाता सूची 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित की जाएगी।