काम के घंटे तय करें:
सबसे जरूरी है अपनी दिनचर्या में नियमितता बेवजह आमंत्रित तनाव की वजह से हम मानसिक तथा शारीरिक रूप से थक जाते हैं। अतः सबसे पहले काम के घंटे तय करें।
अपनी क्षमता के अनुसार जितना काम कर सकें उतना ही हाथ में लें:
हमें अपनी सीमाओं और योग्यताओं को ध्यान में रखकर ही अपने काम का विस्तार करना चाहिए। एक साथ दस काम हाथ में लेने से हमारा लक्ष्य कभी पूरा नहीं होगा। ‘छोटी शुरूआत, अच्छी शुरूआत’ पर अमल करें।
बनिए खुद ही अपने दोस्त:
कभी-कभी हमें अपने अवचेतन मन की बात भी माननी चाहिए। खुद से ही संवाद करना चाहिए कि मैं क्या कर रहा हूं? क्या यह सही है? निश्चित तौर पर यह जादू आपको नई दिशा देगा। आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? किस क्षेत्र में आप आगे बढ़ सकते हैं ? भला आपसे बेहतर आपको कौन जान सकता है। तो यकीनन इस पर अमल करें और सुकून के साथ अपने लक्ष्य पर पूरे मनोयोग से कार्य करें।
आराम के लिए चुनें इन्हें भी:
व्यायाम, योग-ध्यान जैसी क्रियाओं को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इनकी आदत आपको ताउम्र स्फूर्ति के अलावा अच्छी नींद का मालिक भी बनाती है। स्वस्थ तन-मन रहेगा तो जीवन भी आरामदायक गुजरेगा।
हर वक्त गंभीर न रहें:
जिस समय आप काम कर रहे हों उस समय को छोड दें, बाकी समय अपने दिमाग को आराम दीजिए। बिना वजह की परेशानी मोल लेकर धीर-गंभीर न बने रहें। हल्के-फुल्के मूड में रहें, घर हो या ऑफिस। स्व-प्रेरणा तथा स्व-विचार आदमी को श्रेष्ठ बनाते हैं। जीवन में तकलीफें तो हर व्यक्ति को आती हैं। इसी से हमारे मन में कई ग्रंथियां बन जाती हैं। अतः मन पर काबू रखकर इन पर विजय पाना ही जीवन है।
बार-बार काम बदले नहीं :
बार-बार नौकरी बदलना ठीक नहीं है। कई बार आपका नजरिया सही बैठ भी सकता है, पर अगर आप वहां असफल रहे तो जिस नौकरी में आप हैं वह तो जाएगी ही साथ ही आप पर नया संकट आ जाएगा सो अलग। इससे बचने के लिए कुशल रणनीति के साथ काम करें। सोच-विचार करके ही कदम आगे बढ़ाएं।