रामलला का अस्थायी मंदिर बुलेटप्रूफ समेत अन्य सुरक्षा उपायों से लैस होगा। गृह मंत्रालय गोपनीय स्थान पर बुलेटप्रूफ फाइबर का अस्थायी राममंदिर बनवा रहा है। मंदिर पर न गोली का असर होगा, न बम या किसी अन्य हमले का। इसे चार्टर प्लेन से एक सप्ताह के भीतर दिल्ली से अयोध्या लाने की तैयारी है।
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रामलला की सुरक्षा पर 6 दिसंबर 1992 के बाद सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने रामलला का भव्य मंदिर बनाने के साथ संपूर्ण अधिगृहित करीब 70 एकड़ जमीन स्वायत्तशासी ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को सौंप दी।
मगर, रामलला की सुरक्षा केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास ही है। सुरक्षा का पहला घेरा पुलिस, दूसरा पीएसी और आखिरी घेरा व गर्भगृह केंद्रीय सुरक्षा बल संभालते हैं, कमांडेंट स्तर के आईपीएस अधिकारी इसके प्रमुख हैं।
सुरक्षा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ढांचा ध्वंस के बाद से ही गृह मंत्रालय में वरिष्ठ आईएएस व आईपीएस अफसरों की टीम हर माह सुरक्षा की समीक्षा करती रहती है।
सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के बाद भी सुरक्षा इंतजाम में ट्रस्ट का कोई दखल नहीं है। इसीलिए विराजमान रामलला का मंदिर बनाने से लेकर विग्रह को शिफ्ट करने और दर्शन से लेकर सुरक्षा के इंतजाम का नए सिरे से फुलप्रूफ योजना सीधे दिल्ली से बन रही है।
सूत्र बताते हैं कि फाइबर का बुलेटप्रूफ मंदिर इतना मजबूत बनाया जा रहा है कि किसी भी हमले में कोई असर न हो। इसे चार्टर प्लेन से फोल्ड करके यहां लाने की तैयारी है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र कहते हैं कि अस्थायी मंदिर कहां बन रहा है, इसे सरकार ने गोपनीय रखा है। राममंदिर निर्माण शुरू करने के लिए रामलला को नवरात्र से पहले जन्मभूमि से करीब 250 मीटर पूरब शिफ्ट करने के लिए चबूतरे व दर्शन मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है, जिसकी सुरक्षा संबंधी सभी जांच-पड़ताल आदि पुलिस व केंद्रीय बल के अधिकारी देखते हैं। ट्रस्ट की हर हाल में नवरात्र पूजा नए अस्थायी मंदिर में करने की तैयारी है।
नए मंदिर में रामलला के दर्शन का खाका ऐसा तय हुआ है कि भक्तों को परिक्रमा की सुविधा तीन तरफ से ही मिल सकेगी। दर्शन मार्ग से आते वक्त एक तरफ से दर्शन करते हुए रामलला के समक्ष पहुंचेंगे, फिर तीसरे तरफ से दर्शन करते हुए बाहर निकल जाएंगे।