गहने खरीदने जाते हैं तो गोल्ड रेट के अलावा, फाइनल बिल में जौहरी कई तरह के चार्ज जोड़ लेता है। यही वजह है कि 10 ग्राम सोने की कीमत जितनी होती है फाइनल बिल उससे ज्यादा ही बन जाता है। ठीक इससे उलट स्थिति में जब सोने के गहने बेचने जाते हैं तो बदले में हाथ आई राशि बहुत कम लगती है। दरअसल, यह सारा खेल मेकिंग चार्ज का होता है। सोने की वास्तविक कीमत तो कम होती है लेकिन सुनार सोने के गहने बेचने पर मोटा मेकिंग चार्ज वसूल लेते हैं, जिसकी वजह से फाइनल बिल काफी बढ़ जाता है।
क्या होता है मेकिंग चार्ज
मेकिंग चार्ज को कुछ इस तरह समझ सकते हैं। जब भी सोने के गहने लेने जाते हैं तो सोने को आभूषण के रूप में तैयार करने के लिए इस पर कारीगरों की मेहनत लगती है। गहने की सजावट के लिए कई तरह के स्टोन लगाए जाते हैं, जो कि श्रम का हिस्सा होता है। ऐसे सोने के गहने जिन्हें फाइलन टच देने के लिए कारीगरों का बहुत ज्यादा समय लगता है, पर मेकिंग चार्ज भी ज्यादा होता है। यह सोने के गहने पर बारिक काम के आधार पर तय होता है।
सोने पर कितना होता है मेकिंग चार्ज
दरअसल, मेकिंग चार्ज को लेकर कोई तय फॉर्मूला नहीं है। न ही मेकिंग चार्ज फिक्स्ड होते हैं। यह सुनार पर डिपेंड करता है वह कि कितना मेंकिंग चार्ज ले रहा है। आमतौर पर सुनार 5% से लेकर 20-25% के बीच ही मेकिंग चार्ज वसूलते हैं।
मेकिंग चार्ज दो तरीके से लगाए जाते हैं
मेकिंग चार्ज लगाने के दो तरीके होते हैं
पहला- प्रति ग्राम सोने पर तय कीमतx कुल सोने का भार
दूसरा- कुल सोने की कीमत पर एक तय प्रतिशत
सोने के गहनों का रेट कैसे होता है फाइनल
मान लीजिए आपको 9 ग्राम सोने की चेन खरीदनी है। 22 कैरेट सोने का भाव खरीदारी के दिन 66,700/10 ग्राम बना हुआ है। सुनार आपसे 11 प्रतिशत मेकिंग चार्ज ले रहा है। गोल्ड चेन पर 3 प्रतिशत जीएसटी भी जोड़ा जाएगा। ऐसे में फाइनल कीमत 66,700 रुपये से ज्यादा ही बनेगी, समझिए हिसाब-
सोने की कीमत= 60,030 रुपये (6670 रुपये प्रति ग्राम X 9 ग्राम)
मेकिंग चार्ज= 6,603 रुपये ( सोने की कुल कीमत पर 11 प्रतिशत)
जीएसटी= 1998.99 रुपये (60,030 रुपये+6,603 रुपये=66,6336 रुपये पर 3 प्रतिशत)
हॉलमार्किंग- 45 रुपये
फाइनल बिल= 68,676 रुपये
अब यही गोल्ड चेन बेचने जाएंगे तो मेकिंग चार्ज की वजह से सारा हिसाब अलग हो जाएगा।