काशीपुर में अलीगंज रोड पर आज सुबह पैगा पुलिस चौकी क्षेत्र में एक 35 वर्ष (लगभग) के युवक का शव मिला है। मृतक की शिनाख्त संजीव पुत्र शिवचरन के रूप में हुई है। पुलिस ने पंचानामा कराकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे चिकित्सक ने जब शव की हालत से पंचनामा का मिलान किया तो वह बिफर पड़े। चिकित्सक ने मामले में गलत पंचनामा दर्ज करने पर पोस्टमार्टम करने से इंकार कर दिया। पोस्टमार्टम हाउस तकरीन एक घंटे तक पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा। स्वास्थ्य कर्मियों के इंकार के बाद पुलिस की तरफ से मामला संभालने के लिए नया पंचानामा तैयार किया जाने लगा।
जानिए क्या है पूरा मामला
फरियादपुर भगतपुर थाना जिला मुरादाबाद निवासी संजीव का शव संदिग्ध परिस्थितियों में पैगा चौकी क्षेत्र में बरामद हुआ। परिजनों का कहना है कि वह ट्रांसपोर्ट का काम करता था था। देर शाम वह जसपुर के लिए निकला था। तकरीबन एक बजे के करीब परिवार से बात हुई थी तो वह जसपुर से निकल रहा था । सुबह पांच बजे पुलिस का फोन आया कि संजीव की सड़क हादसे में मौत हो गई है। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। इधर परिजनों ने जब शव को देखा तो गले पर रस्सी और शरीर पर चोट के निशान भी हैं। मृतक संजीव का भाई एलडी भट्ट में काम करता है। उसने पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक से यह बात बताई। उन्होंने शव की जांच की जिसमें गले पर निशान मिले। जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिसकर्मियों में तकरार शुरू हुई।
शव के पंचानामा करने में हो रही लापरवाही
पुलिस के तरफ से शव को कब्जे में लेकर यह तक देखने का प्रयास नहीं किया गया कि मृतक के शरीर पर कितने घाव के निशान हैं। पंचनामा में किसी प्रकार के घाव का जिक्र नहीं किया गया। एलडी भट्ट अस्पताल के चिकित्सक राजीव चौहान ने कहा कि शवाें को सिर्फ पोस्टमार्टम पहुंचाने का कोरम पूरा किया जा रहा है। हाल की कई घटनाओं में शवों का पंचनामा तक भी नहीं किया जा रहा है। पिछले दिनों बाजपुर से एक शव के पंचनामा भरने में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। उन्होंने बताया कि पैगा के पास मिले शव में भी यही गलती दोहराई गई। मृतक के शरीर पर घाव के निशान हैं। गले पर रस्सी का निशान है, लेकिन पंचनामा में इसका कोई जिक्र नहीं है।
आरोप पर बिफरे पुलिसकर्मी
चिकित्सक द्वारा पंचनामा पर सवाल उठाए जाने के बाद पुलिसकर्मी अपनी गलती न मानकर उल्टा चिकित्सक पर ही बिफर पड़े। गलती स्वीकारने की बजाए पुलिसकरर्मी यहां तक कह देते हैं कि आप लोगों पोस्टमार्टम करने तक नहीं आता। इस दौरान दोनों पक्षों में आरोप- प्रत्यारोप चलता रहा। बाद में पंचनामा बदलने की बात पर स्वास्थ्यकर्मी माने। कुलदीप अधिकारी, आइटीआइ थाना प्रभारी ने का इस बारे में कहना है कि पंचनामा करने में पुलिस की तरफ से कोई चूक नहीं हुई है। पुलिस को प्राथमिक तौर पर जो दिखता है वही पंचनामे में दर्ज करती है इसके बाद पोस्टमार्टम कराया जाता है, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके। पंचनामा को लेकर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं।