खराब क्वालिटी का खाद्यान्न केंद्र सरकार ने एक बार फिर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को घेरा

दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ‘घर-घर राशन बांटने की योजना’- डोर स्टेप डिलीवरी पर केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद अब एक नया मामला सामने आया है. केंद्र सरकार ने, अगस्त-सितंबर में लॉकडाउन के दौरान राशन की दुकानों पर खराब क्वालिटी का खाद्यान्न बांटे जाने और राजधानी में राशन की दुकानों के निरीक्षण के दौरान मिलीं गड़बड़ियों के बारे दिल्ली सरकार से रिपोर्ट मांगी थी, जिसे अभी तक पेश नहीं किया गया है. इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 18 मार्च को पत्र लिखा था.

केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से दिल्ली सरकार को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि दिल्ली में राशन की दुकानों से सितंबर 2020 में 138 सैंपल्स (70 गेहूं, 68 चावल) लिए गए थे. इन्हें जांच के लिए लैब में भेजा गया था, जिनमें से 90 सैंपल्स की क्वालिटी खराब पाई गई है. इसमें 42 सैंपल्स (गेहूं के 10 और चावल के 24 सैंपल्स) की क्वालिटी इतनी खराब थी कि उसे इस्तेमाल के लायक नहीं माना गया.

मंत्रालय ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए पूरे मामले की जांच करवा के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इसी के साथ इस पत्र में यह भी कहा गया था कि देश में शुरू की गई ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना के तहत सभी राशन की दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (EPOS) मशीनों का लगाया जाना सुनिश्चित किया गया है, इसके बाद भी राशन को बायोमीट्रिक सिस्टम के तहत नहीं बांटा जा रहा है.

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की योजना- ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ को 25 मार्च से लागू करने की तैयारी कर रही थी. लेकिन 19 मार्च को, केंद्रीय मंत्रालय ने इस योजना पर आपत्ति जताते हुए इसके लागू होने पर रोक लगा दी थी. केंद्र ने कहा था कि इस योजना का नाम, लागत और वितरण का तरीका राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार नहीं है.

इस पर दिल्ली सरकार ने इस योजना का नाम हटाने का फैसला किया था और कहा था कि अब इस योजना को बिना नाम के ही चलाया जाएगा. दिल्ली सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार इस योजना को रोकने की कोशिश कर रही है. अगर केंद्र सरकार इस योजना के नाम से खुश नहीं है, तो हम इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना से बदलकर कुछ और कर देते हैं, लेकिन ये योजना लागू होनी चाहिए. हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने कहा कि अन्य समस्याओं के चलते भी इस योजना पर रोक लगाई गई है.

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