विश्व के चिकित्सा वैज्ञानिक ‘जीन एडिटिंग’ पर फोकस कर रहे हैं। इसकी क्रिस्पर-कैस9 तकनीक चर्चा में है। चीन में हुए प्रयोग में सफल परिणाम मिले हैं। ऐसे में देश के एक्सपर्ट भी मंथन में जुट गए हैं। सरकार से कानून को लेकर मशविरा चल रहा है। ऐसा हुआ तो कई जन्मजात बीमारियों का सफाया हो सकेगा।
ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी (एआइसीओजी) कांफ्रेंस में जीन एडटिंग के भविष्य पर मंथन हुआ। दिल्ली के डॉ. एचडी पई ने कहा कि क्रिस्पर तकनीक से चिकित्सा क्षेत्र में नया बदलाव आएगा। चीन के बाद देश के एक्सपर्ट भी क्रिस्पर पर गहन अध्ययन कर रहे हैं। क्रिस्पर तकनीक एक टूल है। इसके जरिये कोशिका में पहुंचा जा सकता है। डीएनए में मौजूद खराब जीन की पहचान कर उसे निष्क्रिय किया जा सकता है। उसे काटकर हटाया जा सकता है। साथ ही अच्छा जीन रिप्लेस भी किया जा सकता है।
इन बीमारियों से मिलेगी निजात
हर वर्ष हजारों बच्चे आनुवांशिक बीमारियों के साथ पैदा हो रहे हैं। इसमें थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, डाउन सिंड्रोम, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मेंटल रिटायर्ड, फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम आदि बीमारियां प्रमुख हैं। ऐसे में इन बीमारियों के दोषी जीन को चिह्नित कर खत्म किया जा सकेगा।
अभी गर्भपात है विकल्प
अभी डॉक्टर एमनियोटिक फ्ल्यूड लेकर टेस्ट करते हैं। इसमें भ्रूण में जन्मजात बीमारी होने पर दंपती को गर्भपात की सलाह देते हैं। गर्भपात पहले 20 हफ्ते तक मान्य था, अब उसे 24 सप्ताह कर कर दिया गया है। गर्भपात के बाद महिलाओं को मानसिक समेत विभिन्न समस्याओं से गुजरना पड़ता है।
अभी जीन एडिटिंग भ्रूण को प्रत्यारोपण की अनुमति नहीं
डॉ. एचडी पई के मुताबिक, अभी लैब में आइवीएफ तकनीक से विकसित भू्रण को ही मां के गर्भ में प्रत्यारोपित करने की अनुमति है। जीन एडिटिंग सिर्फ शोध तक सीमित है। वहीं, जीन एडिटिंग वाले भ्रूण को चिकित्सक प्रत्यारोपित नहीं कर सकते।
डिजाइनर बेबी को लेकर आशंका
डॉ. एचडी पई के मुताबिक क्रिस्पर तकनीक के दुरुपयोग की आशंका के सवाल भी उठ रहे हैं। इसके जरिए दंपती मनमाने रंग, आंख, बाल आदि वाले बच्चे की मांग करने लगेंगे। ऐसे में डिजाइनर बेबी का चलन बढऩे के आसार हैं। लिहाजा, एक स्पष्ट नीति बने, ताकि तकनीक का इस्तेमाल सार्थक तरीके से हो सके। एक्सपर्ट टीम का सरकार से संबंधित मसले पर वार्ता चल रही है।
कार्यशाला का समापन
फॉग्सी के तत्वावधान में 29 जनवरी से स्मृति उपवन में कार्यशाला शुरू हुई थी। इसमें देश-विदेश के 12 हजार महिला एवं प्रसूति रोग चिकित्सकों ने शिरकत की। रविवार को समापन अवसर पर गायत्री परिवार के प्रणव पांड्या ने गर्भ संस्कार का महत्व बताया। इसके बाद डॉक्टरों ने कभी अलविदा न कहना गीत गाकर…समारोहका समापन किया। कार्यशाला में आयोजन अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रावती व सचिव डॉ प्रीति कुमार ने प्रमाणपत्र व पुरस्कार भी प्रदान किए।