आज के समय में सोशल मीडिया में महसूर होने के लिए लोग अजीबो – गरीब हरकत करते रहते हैं। जिससे सोशल मीडिया में वो महसूर हो जाए । लेकिन इसका कभी कभी गलत असर भी पड़ता हैं। शायद इस बात से लोग अंजान हैं आज भी।
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बतादें कि शौक किसी को किसी भी चीज की हो सकती है और उसे पूरा करने के लिए लोग किसी भी हद तक गुजर जाते हैं। अपने शौक को पूरा करने के लिए लाखों, करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं। चाहे शौक कितना भी अजीब क्यों ना हो। ऐसे ही एक शख्स हैं जिन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए।
खबरों के मुताबिक टायमैट का कहना है कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि जो लोग साई-फाई फिल्मों में दिखने वालों की तरह बॉडी मॉडिफिकेशन करवाते हैं वो लूजर और मंदबुद्धि वाले हैं। पहले मैं एक आम आदमी की तरह देश के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक बैंकिंग वाइस प्रेसिडेंट था।
वहीं टायमैट ने आगे कहा कि मैं लोगों को बस यह बताना चाहता हूं कि मॉडिफायड लोग भी बुद्धिमान, दयालु, प्यार करने वाले लोग होते हैं। सिर्फ इसलिए कि मेरे कान निकाले गए हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि मेरे पास दिमाग नहीं है।
टायमैट ने बताया कि जब वह पांच साल के थे तो उनके सौतेले पिता ने शारीरिक और मौखिक रूप से मेरे साथ दुर्व्यवहार किया। और उनके माता-पिता ने रात के वक्त दक्षिणी टेक्सास के घने जंगलों में छोड़ दिया। जहां खतरनाक रैटलस्नेक रहते हैं। और जब उनके माता-पिता ने कार के बाहर फेंक दिया तो उन्होंने एक विषैले रैटलर को अपना माता-पिता माना।
दरअसल पहली बार उन्होंने साल 1997 में बॉडी मॉडिफिकेशन करवाया और अपने सिर पर दो सिंग लगवाए थे, जिसमें 330 पाउंड (लगभग 29 हज़ार रुपये) खर्च हुए थे। टायमैट ने बताया कि पहले बॉडी मॉडिफिकेशन के बाद वो दुनिया के पांचवें व्यक्ति बन गए, जिनके सिर पर सींग थी।
वहीं बॉडी मॉडिफिकेशन की शुरुआत शौक से हुई थी, लेकिन बाद में वह उनके जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया। टायमैट ने पहले एक महिला के रूप में मॉडिफिकेशन करवाया, उसके बाद वो एक मानव ड्रैगन के रूप में सामने आए। अब टायमैट को लोग ‘ड्रैगन लेडी’ के नाम से जानते हैं।