पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नागरिक संशोधन कानून (CAA) को लेकर मोदी सरकार का जमकर विरोध कर रही हैं. इस बीच नागरिकता संशोधन कानून पर 13 जनवरी को दिल्ली में होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक एक दिन पहले ममता बनर्जी रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करेंगी.
दरअसल, ममता बनर्जी कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगी, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे. सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि शनिवार को कोलकाता में पीएम मोदी और ममता बनर्जी की बैठक भी हो सकती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक निर्धारित समय के अनुसार शनिवार को शाम करीब 4 बजे प्रधानमंत्री के शहर पहुंचने के बाद दोनों नेताओं के बीच बैठक होगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री शनिवार को शहर पहुंचने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री के साथ राजभवन में बैठक करेंगे.’
हालांकि, शनिवार को होने वाली बैठक के एजेंडे के बारे में कोई जानकारी बाहर नहीं आ पाई है और न ही इस बैठक की कोई आधिकारिक जानकारी दी गई है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस दौरे के दौरान कोलकाता बंदरगाह ट्रस्ट के कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने न सिर्फ विपक्ष की बैठक से खुद को अलग किया बल्कि उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में साफ शब्दों में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह अकेले ही लड़ेंगी. इसी दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और CAA के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के बहिष्कार की घोषणा भी की.
ममता ने कहा, ‘मैंने दिल्ली में 13 जनवरी को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है क्योंकि मैं वाम और कांग्रेस द्वारा कल पश्चिम बंगाल में की गई हिंसा का समर्थन नहीं करती हूं.’
हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि बनर्जी को विपक्ष की बैठक में आने का न्योता दिया गया था, लेकिन आना, नहीं आना उन पर निर्भर करता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘मुझे ममता बनर्जी के किसी फैसले की जानकारी नहीं है. जहां तक मुझे पता है, कांग्रेस पार्टी ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ संसद के भीतर और बाहर आवाज उठाई है और विपक्षी नेताओं को 13 जनवरी की बैठक में आने का न्योता दिया है. वह आएंगी या नहीं इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता.’
जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी बुधवार को ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान राज्य में वामपंथी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा से भी नाराज हैं. बता दें कि ये बंद केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, संशोधित नागरिकता कानून और पूरे देश में प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में आहूत किया गया था.
ट्रेड यूनियनों के 24 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं. प्रदर्शनकारियों ने रेल और सड़क यातायात बाधित करने करने का भी प्रयास किया. बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई थी और उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद सीएम ममता ने कहा कि वामपंथियों और कांग्रेस के दोहरे मानदंड को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
ममता ने बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद वामदल और कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘आप लोग पश्चिम बंगाल में एक नीति अपनाते हैं और दिल्ली में एकदम विपरीत नीति अपनाते हैं. मैं आपके साथ नहीं जुड़ना चाहती. अगर जरूरत पड़ी तो मैं अकेले लड़ने को तैयार हूं.’