उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के मामले में अदालत ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर शिकायत पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इन दंगों का शिकार बने एक व्यक्ति ने अदालत में शिकायतपत्र दाखिल कर कहा था कि उसकी दुकान व मकान लूटा गया था। उसी दौरान उसने देखा था कि भीड़ ने बुर्के वाली एक महिला की हत्या कर उसका शव भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया था। हालांकि, पुलिस की तरफ से कहा गया था कि यह आरोप बेबुनियाद हैं।

कड़कड़डूमा स्थित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राकेश कुमार की अदालत ने सोमवार को इस मामले मेंं दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बगैर जांच वह आरोपों को गलत कैसे बता सकते हैं। इस मामले का शिकायतकर्ता खुद दंगों का पीड़ित है। ऐसे में किसी अज्ञात महिला की हत्या कर उसके शव को नाले में डालने की बात को बिना तफ्तीश झूठलाया कैसे जा सकता है। पुलिस को पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए। अदालत ने कानूनी प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी संज्ञानीय अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस को पहले एफआईआर दर्ज करने एवं उसके बाद मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का नियम है।
अदालत में दायर शिकायतपत्र में शिकायतकर्ता ने कहा है कि यह घटना 24 फरवरी 2020 की है। भागीरथी विहार पुलिया के पास ही उसका घर व दुकान है। एक समुदाय विशेष के लोगों ने उसके घर व दुकान पर हमला बोल दिया था। उसकी दुकान लूट ली और फिर दुकान में आग लगा दी। उसके घर में बेटी की शादी के लिए जुटाए गए सामान, नकदी व जेवरात को लूट लिया गया। हालांकि, इस बीच उसने खुद को अपने परिवार को एक अलग कमरे में बंद कर लिया था, जिससे वह बच गया, लेकिन इस घटना से पहले उसने देखा था कि इन दंगाइयों की भीड़ ने एक अज्ञात बुर्के वाली महिला को बुरी तरह घायल कर दिया। फिर उसकी हत्या की व शव नाले में फेंक दिया।
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