बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा झटका देते हुए अपने यहां से अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र के प्लांटों से रोजाना करीब 130 टन ऑक्सीजन मिलती है। यदि इसकी आपूर्ति पूरी तरह रुक गई तो समस्या खड़ी हो सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तय किया है कि महाराष्ट्र के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। महाराष्ट्र सरकार से इस संबंध में चर्चा की गई और केंद्र को भी स्थिति से अवगत कराया गया।
वैकल्पिक इंतजाम शुरू किए
मप्र सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। वहीं, उद्योग विभाग ने कमिश्नर और कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में लगने वाली ऑक्सीजन का प्रथम उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिए होगा। साथ ही प्रदेश में जहां भी ऑक्सीजन तैयार की जाती है, वहां इसकी मात्रा बढ़ाई जाए।
सिर्फ महाराष्ट्र में आपूर्ति का आदेश
महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. प्रदीप व्यास ने बीते सोमवार को आदेश जारी किया कि राज्य के प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति सिर्फ महाराष्ट्र में होगी। मप्र में आइनॉक्स कंपनी ऑक्सीजन की आपूर्ति का बड़ा काम करती है। इसके प्लांट महाराष्ट्र में हैं। वहां से भोपाल, इंदौर, शिवपुरी सहित अन्य जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।
हाई कोर्ट जाने से पीछे नहीं हटेंगे : नरोत्तम मिश्रा
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। यदि आवश्यक हुआ तो हाईकोर्ट जाने से भी सरकार पीछे नहीं हटेगी। वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि यह निर्णय देश की संघीय व्यवस्था के खिलाफ है।
महाराष्ट्र के अफसरों से बात की
मप्र के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से बात की। प्रमुख सचिव उद्योग संजय कुमार शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से आपूर्ति की व्यवस्था बनाई गई है। ऑक्सीजन की फिलहाल कमी नहीं है, लेकिन भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इंतजाम किए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार रख रही है नजर
सूत्रों का कहना है इस पूरे घटनाक्रम पर केंद्र सरकार सीधी नजर रख रही है। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में लगने वाली ऑक्सीजन की जानकारी भी केंद्र सरकार अपने स्तर पर जुटा रही है, ताकि भविष्य की रणनीति बनाई जा सके।