लॉकडाउन के कारण रमजान की रौनक भी फीकी पड़ गई है। कोरोना की वजह से रोजेदार घर से निकलने से परहेज कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार कारोबारियों को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
दिल्ली व्यापार संघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने बताया कि रमजान के महीने में बाजार गुलजार रहता था। पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद बाजार, चांदनी चौक और सदर बाजार में रमजान के महीने में काफी रौनक रहती थी। पूरे महीने लोग यहां आकर जमकर खरीदारी करते थे। जूते, कपड़े और घर के सजावट के सामान की काफी बिक्री होती थी।
लेकिन इस बार सब सूना पड़ा है। इससे करीब 600 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इफ्तार के बाद खाने पीने के व्यंजनों के लिए लोग चांदनी चौक बाजार आते थे। यहां की दुकानों पर भारी भीड़ रहती थी। इस बार सब वीरान है।
उन्होंने बताया कि चांदनी चौक और सदर बाजार में ही करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जामा मस्जिद बाजार के व्यापारी इस्माइल खान ने बताया कि दिल्ली के लिए ऐसे रमजान कभी नहीं गुजरे।
इन दिनों में वह साल भर की कमाई कर लिए करते थे। खमीरी रोटी बनाने के लिए दो शिफ्ट में काम चलता था। लेकिन इस बार सब बंद पड़ा है। इस नुकसान की भरपाई सालों तक नहीं हो सकेगी।
मटिया महल व्यापार मंडल के अध्यक्ष अकरम ने बताया कि जामा मस्जिद बाजार और मटिया महल इलाके में काफी छोटी-छोटी दुकाने हैं। यहां के व्यापारी रोज कमाने और खाने वाले हैं।
रमजान का महीना यहां के व्यापारियों के लिए एक सौगात जैसा है, लेकिन इस बार किसी की एक रुपये की भी कमाई नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि व्यापार मंडल के सदस्यों ने फैसला किया है कि इस बार ईद न मनाकर उस पैसे से हम गरीबों की सहायता करेंगे और लॉकडाउन के कारण जिन दुकानदारों का काम बंद पड़ा है उन्हें आर्थिक सहायता देंगे।