बदलते मौसम में नाक की एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, कोरोना काल में नाक की एलर्जी और कोरोना के शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं जिससे ज्यादातर मरीजों में कोरोना का डर बैठ रहा है और मरीज कोविड की जांच कराने के लिए परेशान हो रहे हैं। एलर्जी विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दी, जुकाम और गले की खराश के लक्षण नाक की एलर्जी के अलावा कोरोना के भी शुरुआती लक्षण हैं। वहीं, नाक की एलर्जी भविष्य में अस्थमा का कारण भी बन सकती है। ऐसे में, शुरुआती दौर में एलर्जी के लक्षणों पर ध्यान देकर बचा जा सकता है।
कई कारणों से हो सकती है नाक की एलर्जी
अक्सर एलर्जी को बदलते मौसम से जुड़ी मामूली समस्या समझकर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। मगर कभी-कभी हल्की समस्या कई गंभीर बीमारियों का सबब बन जाती है। इस मौसम में गर्मी के अलावा नमी की मात्रा भी काफी रहती है। इसके साथ ही नए परागकण भी वातावरण में व्याप्त रहते हैं। इसके साथ ही बढ़ती नमी के साथ विषाणु भी काफी मात्रा में वातावरण में आ जाते हैं। धूल, मिट्टी, धुआं, कुत्ता, बिल्ली, खरगोश जैसे पालतू पशुओं के आलावा फूलों के परागकण या एलोपैथिक दवाओं के रिएक्शन से भी एलर्जी और सांस की समस्या हो सकती है। ऐसे में समय रहते सजग होने की जरूरत है।
नाक की एलर्जी व कोरोना में अंतर को ऐसे पहचाने
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विभागाध्यक्ष तथा इंडियन कालेज ऑफ एलर्जी एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, मौसम में परिवर्तन, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। हर मौसम में विभिन्न प्रकार के पराग-कण पाये जाते है। ये छोटे छोटे परागकण नाक में घुसकर उसके भीतर श्लेष्मा की परत से चिपक जाते हैं। इसके बाद यह नाक से गले तक पहुंच जाते हैं और रोग प्रतिरक्षा तंत्र पर असर करते हैं। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हिस्टामीन निकलता हैं जो तेजी से फैलकर एलर्जी के लक्षण पैदा करता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।
बारहमासी भी हो सकती है नाक की एलर्जी
डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, नाक की एलर्जी या एलर्जिक राइनाइटिस मौसमी या बारहमासी हो सकती है। विशेष रूप से यह परागकणों के कारण मौसम बदलने के दौरान होता है। इससे नासिका के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और छींके, नाक में खुजली, पानी आना व नाक का बंद हो जाना जैसे लक्षण होते हैं। एलर्जी की वजह से साइनस में सूजन आ जाती है जिसे साइनूसाइटिस कहते हैं। बच्चों में एलर्जी की परेशानी यदि लंबे समय तक बनी रहती है तो कान बहना, कान में दर्द, कम सुनना, बहरापन जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। शरीर की संरचना के हिसाब से नाक, कान और गला आपस में किसी न किसी माध्यम से जुड़े होते हैं इसलिए इनमें से किसी में भी संक्रमण या सूजन आने पर सभी पर असर होता है। यही कारण है कि एलर्जी की वजह से नाक में सूजन के लक्षण प्रकट होने पर साइनस में, कान में दर्द और गले में खराश और आवाज में परिवर्तन भी दिखाई देता है। यही कारण है कि यदि बचपन में ये परेशानी लंबे समय तक बनी रहे तो बड़े होने पर भी आवाज में नाक से बोलने का प्रभाव या उच्चारण साफ न होने वाली परेशानियां बनी रह जाती हैं।
वहीं, डॉ. सूर्यकांत कहते हैं, नाक की एलर्जी व कोरोना के शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। इसलिए आजकल हर दूसरा मरीज नाक बहने की समस्या होते ही कोरोना समझकर जांच कराने अस्पताल पहुंच रहा है। जबकि मैं अपने मरीजों को यही कहता हूं कि ‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती, वैसे ही हर टपकती नाक कोरोना नहीं होती’। मरीजों को परेशान होने के बजाय डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही कोरोना की जांच कराना चाहिए।
ऐसे करें नाक की एलर्जी, फ्लू व कोरोना के लक्षणों में अंतर
नाक की एलर्जी, फ्लू व कोविड-19 के संक्रमण में लक्षण आने का समय अलग-अलग होता है। नाक की एलर्जी में लक्षण आने में एक से तीन दिन का समय लगता है। वहीं, लक्षणों की शुरुआत भी अलग-अलग तरह से होती है। नाक की एलर्जी में लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं। नाक की एलर्जी में एक से तीन दिन तक अधिकतर छीकें आना, नाक बहना, गले की खराश व खांसी होती है। जबकि बुखार कभी-कभी आता है और सांस लेने में तकलीफ व सांस फूलने की शिकायत बहुत कम होती है। मौसम बदलने तक मरीज में ये लक्षण रहते हैं।
वहीं, फ्लू में एक से चार दिन में ये लक्षण अचानक आते हैं। कभी-कभी छींक आना, नाक बहना, गले में खराश व खांसी आती है, बुखार ज्यादा आता है, थोड़ा-बहुत शरीर में दर्द रहता है, सांस लेने में तकलीफ व सांस फूलने की शिकायत बहुत कम होती है। फ्लू के लक्षण तीन से सात दिन तक रहते हैं।
वहीं, कोविड-19 के लक्षण दो से 14 दिन में धीरे-धीरे आते हैं। इसमें अधिकतर छींकें आती हैं। कभी-कभी गले में खराश व नाक बहने की शिकायत होती है। वहीं, इसमें अधिकतर खांसी व बुखार की शिकायत व शरीर दर्द ज्यादा होता है। सांस फूलने व सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। इसके लक्षण साधारण रूप से दो हफ्ते तक व गंभीर रूप से दो से छह हफ्ते तक रहते हैं।
ऐसे करें उपचार :
नाक की एलर्जी जोकि भविष्य में अस्थमा का कारण बनती है। इससे बचाव के लिए धूल, धुआं, गर्द, प्रदूषण से बचाव करें, इंट्रानेजल स्प्रे, एंटी एलर्जिक दवाएं, जलनेति क्रिया आदि का प्रयोग चिकित्सक की सलाह से करें। यदि कोरोना के लक्षण लग रहें हैं तो कोरोना की जांच कराकर उचित इलाज करें।
ऐसे करें बचाव
- अपने घर को साफ व शुष्क रखें।
- जानवरों को घर से दूर रखें।
- घरो में कालीन के बजाए लकड़ी या हार्ड विनाइल फर्श का उपयोग करें।
- महिलाएं घर में झाड़ू लगाते समय, कालीन साफ करते वक्त और पर्दे, बेड व कुशन कवर बदलते समय नाक को दुपट्टे या साड़ी के पल्लू से ढकें या मास्क पहनें।
- पराग कणों से बचने के लिए पार्क और खेतों जैसे घास वाले इलाकों में जाने से बचें।
- रात्रि के मध्य और सुबह के दौरान दरवाजा खिड़कियां बंद रखें, जब हवा में सबसे अधिक पराकरण होता है।
- कोरोना से बचाव के लिए अभिवादन के लिए नमस्ते, मास्क, शारीरिक दूरी व समय-समय पर हाथ साबुन पानी या पेपर सोप से धोंए या फिर सेनिटाइजर का प्रयोग करें।