धान के मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष और किसान संघों का समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने तीन बैठक रखी है। पहली बैठक सांसदों और राज्यसभा सदस्यों के साथ रखी गई है। दूसरी सर्वदलीय बैठक होगी, जिसमें विभिन्न् राजनीतिक दलों के प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया है।
तीसरी बैठक किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ होगी। सरकार और कांग्रेस सात नवंबर से किसानों से जुड़े मुद्दों पर चरणबद्ध आंदोलन करने वाले हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री विपक्षी दलों के जनप्रतिनिधियों, नेताओं और किसान संघों का समर्थन चाहते हैं। इस कारण उन्होंने बैठक बुलाई है। सरकार का दावा है कि भाजपा के सभी नौ, कांग्रेस के दो सांसदों और पांचों राज्यसभा सदस्यों को बैठक का न्योता भेजा गया है।
मुख्यमंत्री सांसदों और राज्यसभा सदस्यों से अपील करेंगे कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर धान के 25 सौ स्र्पये मूल्य को सहमति दें, बोनस पर लगी रोक को शिथिल करें, सेंट्रल पूल में उसना चावल लेने और 32 लाख मीट्रिक टन चावल को एफसीआइ के गोदाम में रखने की अनुमति देने का आग्रह करें।
सर्वदलीय बैठक में विभिन्न् राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करके धान और किसान के मुद्दे पर एकजुट होने का आग्रह करेंगे। तीसरी बैठक में मुख्यमंत्री किसान संघों के नेताओं को पहले तो यह समझाने की कोशिश करेंगे कि मौजूदा सरकार पूरी तरह से किसानों के हित में काम कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार का सहयोग नहीं मिल पा रहा है। 13 नवंबर को सरकार और कांग्रेसी दिल्ली जाएंगे, किसान संघ के नेताओं से यह भी अपील की जाएगी कि वे साथ में चलें और आंदोलन का हिस्सा बनें।