कानपुर में बने चमड़ा और इसके उत्पादों की चमक आने वाले समय में यूके (यूनाइटेड किंगडम) में और बढ़ सकेगी। इसकी यूरोपीय यूनियन के बाजारों में भी पैठ बढ़ेगी। दरअसल भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते एफटीए पर मुहर लग गई है। शहर से सालाना एक हजार करोड़ से ज्यादा का निर्यात यूके को किया जाता है। समझौता होने से कारोबार दोगुना से ज्यादा बढ़ने की संभावना है। अगले एक दो साल में बाजार हिस्सा भी बढ़कर 10 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता 2022 में शुरू हुई थी। जिस पर अब सहमति बन गई है। भारत-यूके एफटीए कानपुर समेत देश के चमड़ा और फुटवियर कारोबार के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है। जानकारों का कहना है कि यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार में खेल के मैदान को समतल करता है। और त्वरित निर्यात वृद्धि के लिए एक स्पष्ट मार्ग बनाता है।
शुल्क-मुक्त पहुंच के साथ कानपुर समेत देश के पास अब कंबोडिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान और तुर्किए के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करने के लिए मूल्य निर्धारण किया जा सकेगा। 2024 में यूनाइटेड किंगडम को किए गए निर्यात की हिस्सेदारी 5.7 थी। जबकि इसकी तुलना में चीन की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत, वियतनाम 18 प्रतिशत, तुर्किए 1.8 प्रतिशत थी। पाकिस्तान और बांग्लादेश की हिस्सेदारी 0.5 प्रतिशत रही। बताया गया कि मुक्त बाजार समझौता होने से आयात और निर्यात शुल्क शून्य हो जाएगा। पहले चमड़ा और चमड़ा उत्पादों पर 16 प्रतिशत शुल्क लगता था।
यूरोपीय यूनियन के बाजार में बढ़ सकेगा दखल
यूके पहले यूरोेपीय यूनियन (ईयू) में शामिल था, लेकिन कई वर्षों पहले वह यूरोपीय यूनियन से अलग हो गया। यूरोपीय केंद्रित क्षेत्र में ऑस्ट्रिया, अजरबैजान, बेल्जियम, बुल्गारिया, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, कजाकिस्तान, लिकटेंस्टीन लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्पेन, स्वीडन, स्विटजरलैंड, तुर्किए शामिल हैं। यूके से समझौते का असर इन देशों पर भी पड़ेगा। यूरोपीय यूनियन में चमड़ा और चमड़ा के उत्पाद, खाद्य पदार्थों का बहुत बड़ा बाजार है। नए-नए फैशन के ट्रेंड इटली, फ्रांस से निकलते हैं, जिसका सीधा लाभ कानपुर के निर्यातकों को मिल सकेगा।
ये समझौता कानपुर समेत देश भर के चमड़ा और चमड़ा उत्पादों के लिए गेम चेंजर हो सकेगा। कंबोडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्किए जैसे देशों के साथ यहां के उत्पाद प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। शून्य शुल्क होने से बाजार हिस्सेदारी आने वाले एक से दो सालों में दो गुना हो सकेगी। – राजेंद्र कुमार जालान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, चर्म निर्यात परिषद
यूके सैडलरी, फुटवियर और शेफ्टी शूज का बड़ा बाजार है। वहां से फुटवियर का मैटीरियल भी आयात किया जाता था। शुल्क शून्य होने से उत्पाद सस्ता होगा तो निश्चित तौर पर बाजार बढ़ेगा। नए-नए ब्रांडों के लिए बाजार खुलेगा। नई व्यवस्था में निर्यात बढ़ सकेगा। – असद इराकी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, चर्म निर्यात परिषद
यूके के साथ एफटीए मील का पत्थर है। इससे यूके में उत्पादों की मांग और बढ़ सकेगी। इसके अलावा यूरोपीय यूनियन के देशों में कानपुर के उत्पादों की पहुंच और बढ़ सकेगी। ये एक बहुत बड़ा बाजार मिल सकेगा। – आलोक श्रीवास्तव, संयोजक, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन फियो
यूके और यूरोपीय यूनियन सैडलरी का बहुत अच्छा और बड़ा बाजार है। कानपुर की सैडलरी की मांग फिर से बढ़ने लगी है। मुक्त बाजार समझौता होने से उत्पाद की लागत कम हो जाएगी। इससे निर्यात कई गुना बढ़ सकेगा। – जफर-फिरोज आयात-निर्यात विशेषज्ञ