सीएए कानून को लेकर पूरे देश में विरोध के स्वर मुखर है. महाराष्ट्र में कभी बीजेपी के पुराने साथी उद्धव ठाकरे ने नागरिकता कानून पर नरम रुख अख्तियार किया है जिसके बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस से विरोध के स्वर उठने लगे हैं.

कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने उद्धव ठाकरे के स्टैंड को लेकर विरोध जाहिर किया है. निरुपम का कहना है की जब कांग्रेस एनसीपी गठबंधन की सरकार है तो सवाल उठता है की क्या कांग्रेस एनसीपी के शीर्ष नेताओं से चर्चा कर उद्धव ठाकरे ने ये स्टैंड लिया है. संजय निरुपम का कहना है की ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता में कंफ्यूज़न पैदा होगा और ये पार्टी के लिए अच्छा नहीं है.
कभी बीजेपी के साथी रही शिवसेना ने वैसे तो एनसीपी कांग्रेस के संग मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली है उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए हैं. नागरिकता कानून को लेकर विवाद के बीच मे उद्धव ठाकरे का दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात करना उसके बाद नागरिकता कानून के लिए सकरात्मक रुख दिखाना कांग्रेस को बिल्कुल रास नहीं आया है.
कांग्रेस नेता संजय निरूपम का कहना है कि पूरे देश में कांग्रेस इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है और महाराष्ट्र में कांग्रेस समर्थित सरकार इसका समर्थन कर रही है ऐसे में यह स्पष्ट होना चाहिए कि क्या उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस एनसीपी के नेताओं से बात करके अपना समर्थन जाहिर किया है. क्योंकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति बन रही है.
संजय निरुपम का ये भी कहना है कि कांग्रेस पार्टी की अपनी भूमिका है, कांग्रेस पूरे देश मे इसके खिलाफत में खड़ी है. महराष्ट्र में सरकार में कांग्रेस की बड़ी भूमिका है एनसीपी ने भी कानून के खिलाफ भूमिका ले रखी है ऐसे में हम दोनों के समर्थन से मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे भूमिका लेते हैं, सीएए गलत नहीं है. एनपीआर लागू होना चाहिए तब सवाल उठता है की क्या हमारी पार्टी के प्रमुख लोगों के साथ चर्चा हुई है क्योंकि बिना चर्चा के बढ़ेंगे तो कांग्रेस पार्टी का नुकसान होगा.
क्योंकि लोग सवाल उठाएंगे कहेंगे दिल्ली में कांग्रेस एनपीआर का विरोध करती है और मुम्बई में एनोईआर का समर्थन. ऐसे सवाल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन मे भ्रम पैदा करेंगे इसके ऊपर सफाई आना बहुत आवश्यक है.
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