ब्रिटेन की सरकार ने इस हफ्ते वेस्टमिंस्टर हॉल में हुई संसदीय बहस के दौरान कश्मीर मुद्दे पर अपना पुराना और स्पष्ट रुख दोहराया, कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है और इसका हल कश्मीरियों की इच्छा को ध्यान में रखकर ही निकलना चाहिए। यह बहस ‘कश्मीर: स्वभाग्यनिर्णय’ विषय पर हुई, जिसे पाकिस्तानी मूल के लेबर सांसद इमरान हुसैन ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने सरकार से पूछा कि कश्मीर मसला ‘द्विपक्षीय है या अंतरराष्ट्रीय’?
मंत्री हैमिश फाल्कनर ने सरकार की नीति दोहराई
इस पर विदेश, राष्ट्रमंडल व विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के मंत्री हैमिश फाल्कनर ने कहा, ‘मैं यूके सरकार की लंबे समय से चली आ रही नीति दोहराता हूं, कश्मीर पर स्थायी समाधान भारत और पाकिस्तान को ही निकालना है, और इसमें कश्मीरियों की इच्छाओं का सम्मान जरूरी है। यह सिद्धांत हमारे राजनयिक दृष्टिकोण और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान का आधार है।’
मंत्री ने बताया कि यह इस साल यूके संसद में कश्मीर पर चौथी बहस है। उन्होंने कहा कि कश्मीर दक्षिण एशिया की सबसे संवेदनशील और लंबे समय से चली आ रही जटिल चुनौतियों में से एक है, जहां इतिहास, पहचान और भू-राजनीति एक-दूसरे से टकराते हैं। फाल्कनर ने चेताया कि चूंकि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, इसलिए किसी भी तरह की गलतफहमी या तनाव बढ़ने के बड़े वैश्विक असर हो सकते हैं। इसी वजह से ब्रिटेन ‘तटस्थ रुख’ रखते हुए संवाद और मानवाधिकारों के सम्मान की अपील करता है।
आतंकवाद पर सवाल
इस बहस के दौरान लेबर सांसद बैरी गार्डिनर ने सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि ‘ज्यादातर आतंकी कैंप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद हैं।’ उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार पाकिस्तान में 42 और पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान में 21 आतंकी प्रशिक्षण शिविर दर्ज हैं। इस पर फाल्कनर ने कहा, ‘यह दक्षिण एशिया के लिए दुखद है कि पड़ोसी देश एक-दूसरे पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं। यूके इस मुद्दे पर मदद करना चाहता है क्योंकि इसी कारण हाल में रिश्तों में सबसे बड़ी दरार पड़ी है।’
मंत्री हैमिश फाल्कनर ने सरकार की नीति दोहराई
इस पर विदेश, राष्ट्रमंडल व विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के मंत्री हैमिश फाल्कनर ने कहा, ‘मैं यूके सरकार की लंबे समय से चली आ रही नीति दोहराता हूं, कश्मीर पर स्थायी समाधान भारत और पाकिस्तान को ही निकालना है, और इसमें कश्मीरियों की इच्छाओं का सम्मान जरूरी है। यह सिद्धांत हमारे राजनयिक दृष्टिकोण और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान का आधार है।’
मंत्री ने बताया कि यह इस साल यूके संसद में कश्मीर पर चौथी बहस है। उन्होंने कहा कि कश्मीर दक्षिण एशिया की सबसे संवेदनशील और लंबे समय से चली आ रही जटिल चुनौतियों में से एक है, जहां इतिहास, पहचान और भू-राजनीति एक-दूसरे से टकराते हैं। फाल्कनर ने चेताया कि चूंकि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं, इसलिए किसी भी तरह की गलतफहमी या तनाव बढ़ने के बड़े वैश्विक असर हो सकते हैं। इसी वजह से ब्रिटेन ‘तटस्थ रुख’ रखते हुए संवाद और मानवाधिकारों के सम्मान की अपील करता है।
आतंकवाद पर सवाल
इस बहस के दौरान लेबर सांसद बैरी गार्डिनर ने सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि ‘ज्यादातर आतंकी कैंप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद हैं।’ उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार पाकिस्तान में 42 और पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान में 21 आतंकी प्रशिक्षण शिविर दर्ज हैं। इस पर फाल्कनर ने कहा, ‘यह दक्षिण एशिया के लिए दुखद है कि पड़ोसी देश एक-दूसरे पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं। यूके इस मुद्दे पर मदद करना चाहता है क्योंकि इसी कारण हाल में रिश्तों में सबसे बड़ी दरार पड़ी है।’
ब्रिटेन सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर अपना पारंपरिक रुख दोहराते हुए कहा है कि इसका समाधान भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत से ही संभव है और इसमें कश्मीरियों की इच्छा को अहम माना जाएगा। यह बयान वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘कश्मीर: सेल्फ-डिटरमिनेशन’ विषय पर हुई बहस के दौरान विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) के मंत्री हैमिश फाल्कनर ने दिया।
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