आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे कुंड के बारे में जिसकी एक अलग ही पहचान है . आप सभी को बता दें कि अहोई अष्टमी
में कहा जाता है यह पर्व संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है और इस दिन ब्रज में मौजूद राधाकुंड में स्नान की अलग महिमा है. जी हाँ, कहते हैं इस कुंड में स्नान करने से निसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है और कार्तिक मास की अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने वाली सुहागिनों को संतान की प्राप्ति जल्द हो जाती है.
इसी के साथ कहा जाता है यहां आज रात यानि सप्तमी की अर्ध रात्रि से स्नान किया जाता है और साथ ही यह मान्यता भी है कि कार्तिक मास की अष्टमी को वह दंपति जिन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई है वह निर्जला व्रत रखकर सप्तमी की रात्रि को पुष्य नक्षत्र में रात्रि 12 बजे से राधा कुंड में स्नान कर लें तो उन्हें पुत्र प्राप्ति हो जाती है. वहीं इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर रखे और राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त कर लें तभी उन्हें पुत्र प्राप्ति होती है.
इसी के साथ यह मान्यता भी है कि आज भी पुष्य नक्षत्र में राधा जी और कृष्ण रात्रि 12 बजे तक राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं और उसके बाद पुष्य नक्षत्र शुरू होते ही वहां स्नान कर भक्ति करने वालों को दोनों आशीर्वाद देते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है. वहीं पौराणिक मान्यता है कि राधा जी ने उक्त कुंड को अपने कंगन से खोदा था इसलिए इसे कंगन कुंड भी कहते हैं