दून पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। प्रदेश में हर दिन सर्वाधिक मामले यहीं आ रहे हैं। गुरुवार को भी जिले में कोरोना के 430 मामले आए हैं। यही नहीं संक्रमितों का कुल आंकड़ा भी नौ हजार के पार पहुंच गया है। इनमें 55 फीसद ठीक हो चुके हैं।
दून और आसपास के इलाकों में कोरोना वायरस कोहराम मचा रहा है। सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड फुल हैं और लगातार मामले बढऩे से स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन भी हलकान है। गुरुवार को युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र नेगी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। वह एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उधर, फोर्टिस अस्पताल में भर्ती होने आए एक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर वहां हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कुछ मरीज डिस्चार्ज भी कर दिए गए।
कोरोना संक्रमित मरीज को दिल का दौरा पडऩे पर अस्पताल लाया गया था। अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी पंकज का कहना है कि गाइडलाइन के मुताबिक हर मरीज को भर्ती करने से पहले कोरोना जांच कराई जा रही है। उनकी भी जांच की गई, तो वह पॉजिटिव पाए गए। उन्हें कोविड अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहीं, मरीजों को रूटीन प्रक्रिया के मुताबिक डिस्चार्ज किया गया। जहां तक मरीज आया था, वह हिस्सा सैनिटाइज कर दिया गया है। अस्पताल को हर दिन तीन बार सैनिटाइज किया जा रहा है।
छह घंटे तक कोरोना संक्रमित करता रहा एंबुलेंस का इंतजार
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते कोविड सेंटर जाने के लिए जांच में कोरोना संक्रमित मिले एक मरीज को छह घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा। टिहरी निवासी एक व्यक्ति राजस्थान जयपुर में माइनिंग में कार्य करता है। गुरुवार सुबह करीब 10 बजे वह राजस्थान से नारसन बॉर्डर पर पहुंचा। व्यक्ति को अपने घर टिहरी जाना था। नारसन बॉर्डर के स्वास्थ्य शिविर में व्यक्ति की कोविड-19 की रैपिड एंटीजन जांच हुई, जिसमें वह पॉजिटिव आया। इसके बाद व्यक्ति को वहीं रोक लिया गया और एक स्थान पर बैठा दिया गया।
व्यक्ति को बताया गया कि एंबुलेंस से कोविड केयर सेंटर भेजा जाएगा। व्यक्ति एंबुलेंस के इंतजार में शाम चार बजे तक भूखा प्यासा बैठा रहा। शाम के समय जब एंबुलेंस पहुंची तो तब जाकर कोरोना संक्रमित मरीज को कोविड केयर सेंटर भेजा गया। नारसन बॉर्डर स्थित स्वास्थ्य शिविर के नोडल अधिकारी डॉ. उस्मान का कहना है कि उन्होंने सुबह 11 बजे तक कोरोना संक्रमित मरीज के मिलने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी थी। एंबुलेंस उपलब्ध न होने के चलते मरीज को कोविड सेंटर भेजने में देरी हुई। सिविल अस्पताल रुड़की के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कंसल का कहना है कि उन्हें नारसन बॉर्डर पर कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की जानकारी दोपहर करीब ढाई बजे मिली।
उस समय उनके अस्पताल की एक एंबुलेंस मरीज को लेकर देहरादून गई हुई थी। जबकि, दूसरी एंबुलेंस रुड़की क्षेत्र में ही तीन कोरोना संक्रमित मरीजों को लेने गई थी। इन तीनों मरीजों को कोविड केयर सेंटर छोड़ते ही एंबुलेंस नारसन बॉर्डर पर पहुंच गई। यानि सूचना के एक घंटे के भीतर मरीज तक एंबुलेंस पहुंच गई थी। मरीज को बताए कोविड केयर सेंटर में भर्ती करा दिया है।
बॉर्डर पर नहीं एंबुलेंस की सुविधा
नारसन बॉर्डर पर एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं है। जिसके चलते जब भी कोई यात्री यहां पर कोविड की रैपिड एंटीजन जांच में पॉजिटिव आता है तो उसे इसी तरह से एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता है। एंबुलेंस रुड़की आदि से ही आती है। नोडल अधिकारी डॉ. उस्मान ने बताया कि बॉर्डर पर दो एंबुलेंस की मांग की गई है। यहां के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई है। यदि बॉर्डर पर एंबुलेंस मिल जाए तो मरीज को कोविड सेंटर भेजने में देरी नहीं होगी।