राजकीय माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों को अब स्मार्ट क्लास में पढ़ाया जाएगा। इसमें फिल्म व एनीमेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को कठिन से कठिन पाठ रोचक ढंग से पढ़ाया जाएगा। 517 राजकीय माध्यम स्कूलों में दिसंबर 2019 से ही इसकी शुरुआत की जा रही है।
इसके लिए करीब 26.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ऑडियो-वीडियो की मदद से वह आसानी से पढ़ाई कर सकेंगे। स्मार्ट क्लास विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ भी कम करेगा।
माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को हाईटेक तरीके से पढ़ाई करवाने की तैयारियों में जुटा हुआ है। अभी 2270 राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में से अभी 517 में यह सुविधा शुरू की जा रही है।
अब कक्षाओं में ब्लैक बोर्ड की जगह प्रोजेक्टर होंगे और विद्यार्थियों के हाथ में पेन-पेंसिल की जगह लेजर टार्च होंगे। वह विज्ञान एवं भूगोल जैसे जटिल विषयों को भी प्रोजेक्टर पर चित्रों के माध्यम से आसानी से समझ सकेंगे। इसमें विद्यार्थी किसी विषय पर एक-दूसरे से आसानी से समूह चर्चा भी कर सकेंगे।
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के दक्ष मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण देंगे और उन्हें स्मार्ट क्लास के माध्यम से पढ़ाने के तौर-तरीके समझाएंगे।
वह बताएंगे कि शिक्षक किस तरह विद्यार्थियों को इंटरैक्टिव तरीके से पढ़ाई करवा सकते हैं। स्मार्ट क्लास के माध्यम से न सिर्फ वह हर विद्यार्थी पर नजर रख सकते हैं बल्कि आसानी से उन्हें पढ़ाए जा रहे टॉपिक से जोड़ भी सकते हैं।
दिसंबर 2019 से स्मार्ट क्लास के माध्यम से पढ़ाई करवाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इससे करीब एक लाख विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। आगे और सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाई करवाई जाएगी। डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा द्वारा परीक्षा में नकल पर सख्ती के बाद अब गुणवत्तापरक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है।