मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक जारी है। इसी बीच मंगलवार को भाजपा के बहुमत परीक्षण कराने के निर्देश देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने कल तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है।
इसके अलावा अदालत ने मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायधीशों ने कहा कि वे दूसरे पक्ष की भी बात सुनना चाहते हैं। अब मामले पर कल सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई होगी। वहीं राज्यपाल ने एक बार फिर कमलनाथ को पत्र लिखकर मंगलवार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने के लिए कहा है।
उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के बहुमत परीक्षण कराने के निर्देश देने वाली याचिका पर सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल दी है। अदालत ने मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान न्यायधीशों ने कहा कि वे दूसरे पक्ष की भी बात सुनना चाहते हैं। अब मामले पर कल सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई होगी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ एक बार फिर राज्यपाल लालजी टंडन को चिट्ठी लिखी है। कमलनाथ ने कहा कि 17 मार्च को ही बहुमत साबित करने का आपका आदेश असंवैधानिक है। कमलनाथ ने राज्यपाल द्वारा लिखे पत्र का जिक्र करते हुए कहा- ‘आपने यह मान लिया है कि मेरी सरकार बहुमत खो चुकी है।
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने भाजपा से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा माना है। भाजपा ने कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक बना रखा है। भाजपा के नेता इन विधायकों पर दवाब डालकर उनसे बयान दिलवा रहे हैं। प्रदेश के बंदी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए। 5-7 दिन खुले वतावारण में बिना दबाव के उनके घर में रहने दीजिए ताकि वो स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें। आपने कहा है कि 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने पर यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में बहुमत प्राप्त नहीं है, यह पूरी तरह से आधारहीन और असंवैधानिक है।’
मध्यप्रदेश के बागी कांग्रेसी विधायक बंगलूरू में प्रेस कांफ्रेस कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने कहा कि हम कमलनाथ सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं है। हमें किसी ने कैदी नहीं बनाया। हम सभी विधायक साथ हैं। 22 विधायक इस प्रेस कांफ्रेस में मौजूद हैं। सभी ने इस्तीफा दिया तो केवल छह के मंजूर क्यों हुए।
लालजी टंडन ने सोमवार को कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा, ‘यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में बहुमत सिद्ध करने की जगह, पत्र लिखकर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने में असमर्थता व्यक्त की/आनाकानी की, जिसका कोई औचित्य और आधार नहीं है। आपने अपने पत्र में शक्ति परीक्षण नहीं कराने के जो कारण लिए हैं, वे आधारहीन तथा अर्थहीन हैं।’
राज्यपाल ने कहा, ‘आपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता। जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास है या नहीं, तब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों में निर्विवाद रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर सदन में शक्ति परीक्षण के से ही हो सकता है।
आपसे पुन: निवेदन है कि सांविधानिक एवं लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च तक बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।’