ई-कामर्स प्लेटफार्म पर खरीदारी के दौरान कई बार ऐसा होता है कि कम कीमत देख किसी वस्तु को जब आप खरीदने वाले होते हैं, तो आपसे कहा जाता है कि वह वस्तु अब उपलब्ध नहीं है और उसकी जगह महंगे उत्पाद विकल्प के तौर पर पेश किया जाता है।
ऐसा नहीं कर सकेंगे ई-कामर्स प्लेटफार्म
कई बार तो बिलिंग के दौरान कहा जाता है कि वह उत्पाद आउट आफ स्टाक है और उसकी जगह महंगे उत्पाद खरीदने के लिए विवश किया जाता है। अब ई-कामर्स प्लेटफार्म को ऐसा करना भारी पड़ सकता है।
वैसे ही, कई बार ग्राहकों ने यह अनुभव किया है कि उन्हें किसी ऐप या किसी साइट पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति मकान किराए पर लेने के लिए कोई ऐप डाउनलोड करता है। लेकिन उस मकान में लकड़ी का काम कराने के लिए वह ऐप उसे दूसरे ऐप को डाउनलोड करने के लिए कहता है और ऐसा नहीं करने पर पहले वाला ऐप भी अपना सर्विस नहीं देगा।
ऑनलाइन खरीदारी को लेकर बड़ा कदम
कई बार ऑनलाइन खरीदारी के दौरान ग्राहकों से उनकी जानकारी मांगी जाती है, ताकि उन्हें ऑफर के बारे में बताया जा सके और ऐसा नहीं करने पर वह साइट उन्हें खरीदारी करने से रोकता है। लेकिन अब ग्राहकों के साथ इस प्रकार के जबरन रवैये पर उस ई-कामर्स प्लेटफार्म के खिलाफ कार्रवाई होगी।
हाल ही में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। ग्राहकों को भ्रामक तरीके खरीदारी के लिए मजबूर करना या फिर उन्हें चालाकी से अपनी जानकारी साझा करने जैसा कार्य को डार्क पैटर्न कहा जाता है और इस डार्क पैटर्न को अब गैर कानूनी करार दिया गया है।
इन लोगों पर लागू होगा ये नियम
यह नियम सभी ई-कामर्स प्लेटफार्म, विज्ञापनदाता और सभी विक्रेताओं पर लागू होगा और नियम के खिलाफ काम करने वालों पर उपभोक्ता सुरक्षा कानून के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।
अधिसूचना के मुताबिक कई बार उत्पाद की कमी बता कर या गलत भाव बताकर ग्राहकों को तत्काल रूप से उसकी खरीदारी के लिए प्रेरित किया जाता है। झूठी समय सीमा का भी दबाव बनाया जाता है। उदाहरण के लिए कई बार ई-कामर्स प्लेटफार्म पर अगर आप रूम बुक रहा रहे होते हैं तो यह दर्शाया जाता है कि सिर्फ दो कमरे बचे हैं, 30 लोग इसे देख रहे हैं।
कई बार टिकट बुक कराने के दौरान ऐसे वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है जिससे ग्राहक नहीं चाहते हुए भी चैरिटी के लिए अलग से भुगतान कर देता है। इस प्रकार की हरकतों पर अब रोक लगेगी। ग्राहक इसके खिलाफ उपभोक्ता मामले विभाग के पास शिकायत कर सकते हैं।