इस विटामिन की कमी से इन्सान आता है धीरे-धीरे मौत के करीब...

इस विटामिन की कमी से इन्सान आता है धीरे-धीरे मौत के करीब…

NEW DELHI: हमारे शरीर को सभी पोषक तत्व और कई सारे मिनरल्स चाहिए होते है ताकि हम स्वस्थ रह सके। लेकिन कभी कभी ठीक से खाना-पीना नहीं हो तो किसी न किसी चीज़ की कमी हो जाती है।इस विटामिन की कमी से इन्सान आता है धीरे-धीरे मौत के करीब...बिग ब्रेकिंग: योगी को सौंपी गई BRD मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट, हुआ खुलासा FIR हुई दर्ज…

जिसका नतीजा ये होता है की हम बीमार होने लगते है। वैसे हमारे शरीर में किस चीज़ की कमी है, उसका पता लगाने के लिए शरीर खुद ही संकेत देने लगता है। ऐसा ही विटामिन बी-12 की कमी को सही समय पर नहीं समझने का अर्थ होता है जीवन को खतरे में डालते हुए नित नई बीमारियों को न्योता देना और एक दिन मौत की निंद सो जाना।

विटामिन बी-12 की कमी से होने वाले लक्षण- विटामिन बी-12 की कमी से जोड़ों में दर्द बढ़ने, कुछ भी याद रखने में परेशानी, दिल की धड़कनें तेज होने और सांस के चढ़ने, त्वचा पीली पड़ने, मुंह तथा जीभ में दर्द,  भूख कम लगने,  कमजोरी महसूस होने,  धुंधलेपन, वजन घटने,  बारंबार डायरिया या कब्‍ज, चलने में कठिनाई, अनावश्यक थकान, डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं, शरीर में झुंझलाहट आदि आपके साथ है तो सावधान हो जाइये।

अगर इस तरह के लक्षण नजर आये तो संभल जाइये… आपके शरीर में विटामिन बी-12 की कमी हो सकती है। इस विटामिन की कमी को सही समय पर नहीं समझने का अर्थ होता है जीवन को खतरे में डालते हुए नित नई बीमारियों को न्योता देना और एक दिन मौत की निंद सो जाना।

क्यों जरूरी है ये विटामिन बी-12- वसा को ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने वाला विटामिन बी-12 शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने का काम विटामिन बी-12 ही करता है। यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सही से काम करने, कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत तथा ब्रेन, स्पाइनल कोर्ड और नसों के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का काम ही नहीं करता, बल्कि शरीर के हर हिस्से की न‌र्व्स को प्रोटीन देने का काम भी करता है। 

तो ऐसे पता लगा इस विटामिन के बारे में- असल में यह विटामिन बी-12 घातक एनेमिया के स्रोत, कारण और इलाज ढूंढ़ते-ढूंढ़ते अचानक ही वैज्ञानिकों के हाथ लग गया।

हैरत की बात यह भी है कि अधिकांश प्राणियों की तरह हमारे शरीर में भी आहार में लिए गए कोबाल्ट के इस यौगिक का अवशोषण छोटी आंत के अंत में आंतों की दीवार की कोशिकाओं द्वारा छोड़े गए एक जैव-रासायनिक अणु की सहायता से सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है। यदि शरीर में इस जैव-रासायनिक अणु की कमी है, तो हम भोजन में कितना भी बी12 लें, शरीर उसे ग्रहण करने में असमर्थ रहता है। इसी प्रकार, कोबाल्ट धातु/खनिज की आपूर्ति या विशिष्ट सूक्ष्मजीवों की अनुपस्थिति में प्राणियों के शरीर में इसका निर्माण संभव नहीं है।

 

इस मात्रा में चाहिए शरीर को विटामिन बी-12- शरीर को प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी 12 आवश्यकता होती है और हमारे शरीर ने इसकी अधिक मात्रा को एकत्र रखने और जरूरत के हिसाब से उसका उपयोग करने के तंत्र में अपने को ढाला हुआ है। नई आपूर्ति के बिना भी हमारा शरीर विटामिन बी-12 को 30 वर्षों तक सुरक्षित रख सकता है क्योंकि अन्य विटामिनों के विपरीत, यह हमारी मांसपेशियों और शरीर के अन्य अंगों विशेषकर यकृत में भंडारित रहता है। 

 क्‍यों होती है विटामिन बी-12 की कमी- जान लें कि बी12 की कमी के अधिकांश मामले दरअसल उसके अवशोषण की कमी के मामले होते हैं। इसके अलावा भोजन में नियमित रूप से बी12 की अधिकता होने पर शरीर उसकी आरक्षित मात्रा में कमी कर देता है। बी-12 की कमी कई कारणों से पाई जाती है, जिनमें जीवनशैली संबंधी गलत आदतें तथा जैव रासायनिक खपत संबंधी समस्याएं शामिल हैं। हाल ही के एक शोध की मानें तो भारत की लगभग 60-70 प्रतिशत जनसंख्या और शहरी मध्यवर्ग का लगभग 80 प्रतिशत विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित है। 

विटामिन बी-12 की कमी को पूरा करने के उपाय- ऐसा नहीं कि सिर्फ मांसाहार वाले ही इस विटामिन की कमी से महफूज रहते हों। मांस में भी यह जिन अवयवों में अधिक मात्रा में पाया जाता है, उन भागों को तो अधिकांश मांसाहारी भी अभक्ष्य मानते हैं, इसलिए शाकाहारी लोग भी खमीर, अंकुरित दालों, शैवालों, दुग्ध-उत्पादों यथा दही, पनीर, खोया, चीज, मक्खन, मट्ठा, सोया मिल्क आदि तथा जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि की सहायता से विटामिन बी-12 की पर्याप्त मात्रा प्राप्त कर सकते हैं और भोजन में गाहे-बगाहे खमीरी रोटी और स्पाइरुलिना भी ले लिया करें तो अच्छा है।

 

40 की उम्र के पार वाले रहे सावधान- चालीस पार के लोगों की विटामिन बी-12 अवशोषण की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। बहुत सी दवाइयां भी लम्बे समय तक प्रयोग किए जाने पर विटामिन बी-12 के अवशोषण को अस्थाई रूप से या सदा के लिए बाधित करती हैं।

विशेषकर यदि आप चालीस के निकट हैं या उससे आगे पहुंच चुके हैं। लेकिन अच्छी बात यह भी है कि इसकी दवा की मात्रा मर्ज की गंभीरता पर निर्भर करती है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह दवा आंतों में मौजूद लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को सक्रिय करने का काम करती है।

विटामिन बी-12 सबसे आखिरी विटामिन भले ही हो, लेकिन निरोगी जीवन की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है, जिसके बारे में सही जानकारी नहीं होने के चलते हम उस पर न तो ध्यान दे पाते हैं और न ही उसे संतुलित रखने के उपाय करते हैं।

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