पिछले कुछ समय से बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश से कोई भी अच्छी ख़बर नहीं आ रही है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा गठबंधन ने बीजेपी की फिर से सरकार बनाने की संभावनाओं पर विपरीत प्रभाव डाला था। इसके बाद कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना दिया।जिसने रही सही कसर भी पूरी कर दी है। इस समय राज्य मे पार्टी हाशिये पर पहुंच गयी है।कहा जा सकता है कि इस समय उत्तर प्रदेश में सबसे कमजोर राजनीतिक पार्टी बीजेपी ही है।
इसी बीच बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले एक और बुरी खबर बुलंदशहर से सामने आ रही है।दरअसल बीजेपी के बुलंदशहर जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदीप चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया है।जिसके चलते प्रदीप चौधरी को अध्यक्ष पद की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है।सूत्रों के अनुसार 54 सदस्यों में से 44 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है।दिलचस्प बात यह है कि इसके विरोध में एक भी मत नहीं डाला गया।हालांकि खुद जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदीप चौधरी के साथ 8 सदस्यों ने इस अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में भाग नहीं लिया है।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष और बीजेपी नेता प्रदीप चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बैठक सिविल जज सीनियर डिविजन ऋषि कुमार की अध्यक्षता में हुई थी बैठक में अविश्वास प्रस्ताव के मामले पर खुलकर चर्चा हुई, जिसमें जिला पंचायत सदस्य ने अध्यक्ष प्रदीप चौधरी पर लगाये गए सभी आरोपों को सही करार दिया है।इस बैठक के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर गुप्त मतदान करवाया गया और इसमें 44 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदीप चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।
इस मामले में बुलंदशहर जिला पंचायत के सदस्य महेंद्र भैया ने कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदीप चौधरी के खिलाफ पारित हुए अविश्वास प्रस्ताव की सूचना शासन को भेज दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि शासन स्तर से अगली व्यवस्था जल्द कर दी जाएगी।
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